प्रेम और करुणा से भरा मनुष्य साक्षात ईश्वर का अवतार है : श्रीमद्भागवत कथा में कंस उद्धार, रुक्मणि विवाह की कथा सुनाई
इटारसी। ईश्वर ने जितने भी अवतार धरती पर लिए उन सभी का उद्देश्य लोगों में परस्पर प्रेम, सहयोग ओर करुणा की भावना उत्पन्न करना है। श्रीराम, श्रीकृष्ण ओर बाकी सभी अवतारों ने हमेशा लोगों को ईर्ष्या, द्वेष, कपट आदि छोड़ने संदेश दिया है। जिस व्यक्ति में प्रेम ओर करुणा की भावना विद्यमान है उनके मन में साक्षात ईश्वर का वास होता है। ऐसे मनुष्यों पर ईश्वर की कृपा सदैव अनवरत बनी रहती है। उक्त उदगार श्रीमती मनोरमा देवी गुप्ता एवं परिवार बैंगलोर द्वारा सरला मंगल भवन में आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन व्यासपीठ से श्री श्री 1008 युवराज स्वामी रामकृष्णाचार्य जी महाराज ने व्यक्त किए।
व्यासपीठ से संबोधित करते हुए युवराज स्वामी ने कालिय उद्धार, कंस उद्धार एवं रुक्मणि विवाह की कथा विस्तार पूर्वक सुनाई। महाराज श्री ने कहा कि रुक्मिणी, भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और समर्पण के कारण, उनसे विवाह करना चाहती थीं। उन्होंने श्रीकृष्ण को अपने प्रेम और शिशुपाल से विवाह करने की अपनी विवशता के बारे में एक संदेश भेजा। श्रीकृष्ण, रुक्मिणी के प्रेम और बुद्धिमत्ता से परिचित थे, और उन्होंने रुक्मिणी को शिशुपाल से बचाने और उनसे विवाह करने का निर्णय लिया। कृष्ण ने रुक्मिणी का हरण किया और फिर उनसे विवाह किया। इस विवाह के दौरान, रुक्मिणी के भाई रुक्मी ने कृष्ण का विरोध किया और युद्ध हुआ, जिसमें कृष्ण विजयी हुए। इस प्रकार, श्रीकृष्ण और रुक्मिणी का विवाह संपन्न हुआ, जो प्रेम, भक्ति और साहस का प्रतीक है।