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यात्रा संस्मरण स्मृतियों के खट्टे मीठे अनुभवों के एहसास का प्रकटीकरण ओर जीवन की सीख भी है - जनपरिषद अध्यक्ष डॉ. बटवाल


 

यात्रा संस्मरण स्मृतियों के खट्टे मीठे अनुभवों के एहसास का प्रकटीकरण  ओर जीवन की सीख भी है  -  जनपरिषद अध्यक्ष डॉ. बटवाल

अखिल भारतीय परिषद जिला इकाई की संस्मरण संगोष्ठी सम्पन्न

( युवाप्रवर्तक न्यूज़ )

मंदसौर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद की संस्मरण संगोष्ठी  जनपरिषद मंदसौर चैप्टर अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ. घनश्याम बटवाल के मुख्य आतिथ्य, डॉ. उर्मिलासिंह तोमर, श्रीमती चन्द्रकलासिंह भावसार के विशेष आतिथ्य, नरेन्द्रसिंह राणावत की अध्यक्षता एवं इंजि. दिलीप जोशी, नन्दकिशोर राठौर, नरेन्द्र त्रिवेदी, नरेन्द्र भावसार, अजीजुल्लाह खान, यशवंत प्रजापति, निरंजन भारद्वाज, प्रकाश कल्याणी,  गोपाल पाण्डे जितेन्द्र टेलर, डी.जे.सिंह, राजकुमार अग्रवाल, फेंनी जैन की उपस्थिति में सम्पन्न हुई।

हेमू कालानी चौराहा स्थित मेडिपॉइंट सभागार में  शाम को आयोजित संगोष्ठी में विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्यजनों ने शिरकत की ओर अपने अनुभव साझा किये ।

इस अवसर पर अमेरिका प्रवास से लौटी डॉ. उर्मिला सिंह तोमर एवं श्रीमती चन्द्रकलासिंह भावसार ने अपने प्रवास के संस्मरण सुनाये।

इस अवसर पर डॉ. बटवाल ने कहा कि अ.भा. साहित्य परिषद साहित्य की सभी विधाओं पर गोष्ठियां करके सही मायने में साहित्य संवर्धन कर रहा है। आज संस्मरण विषय पर जीवन की उन स्मृतियों की बात की जा रही है जो किसी यात्रा या घटनाओं के खट्टे मीठे अनुभव को चित्रित करती है। जिसमें अधिकांश स्मृतियों के खट्टे मीठे अनुभवों के एहसास होते है। दूसरे शब्दों में ‘‘स्मृतियों के खट्टे मीठे एहसास का सुखद प्रकटीकरण है संस्मरण’’ यह जीवन की सीख भी होजाते हैं । 

डॉ बटवाल ने कहा कि यात्रा के अनुभव में भिन्न भिन्न स्थानों पर अलग अलग स्वभाव और विचारों के लोगों से मिलने जानने का अवसर भी मिलता है । जीवन भी एक यात्रा ही है इससे को वंचित नहीं रह सकता ।

इस अवसर पर सार्थक स्वयं सेवी संगठन निदेशक एवं जनपरिषद संस्था संरक्षक पर्यावरणविद डॉ. उर्मिलासिंह तोमर जो हाल ही में अमेरिका प्रवास से लौटी है  ने अपने संस्मरण सुनाते हुए बताया कि वैसे तो सारे जहां से अच्छा हिन्दूस्तां हमारा है परन्तु अमेरिका में कुछ बातें उसे विशेष बनाती है वहां नियमों का पालन नागरिकों के स्वभाव में शामिल है वहीं समय का मूल्य समझते हुए उच्च स्तरीय शैली में जीवन व्यतीत करते हैं । गंदगी और साफ सफाई के प्रति गंभीर हैं । हरियाली ओर प्रकृति के प्रति नागरिक संवेदनशील हैं और अपने योगदान करते हैं । भारतीय सामान ओर भोजन सभी आसानी से उपलब्ध है ।

 डॉ तोमर ने कहा कि खूबियों के साथ बहुत चीजें नागवार भी गुज़री , आपने बताया कि खाद्य सामग्री व अन्य आवश्यक सामान पैकबन्द ही मिलता है और कचरों का निस्तारण सामान्य रूप से एक सप्ताह में हो पाता है कचरे घर मे ही रखना पड़ता है । वहीं भोजन में झूठन घरों और होटलों में सामान्य समझा जाता है  

आपने बताया कि वहां नागरिक उच्च शिक्षित हैं पर भारत के युवाओं के प्रति उनकी प्रतिभा के प्रति विशेष स्थान देखने में आया ।

उल्लेखनीय है कि डॉ उर्मिला सिंह तोमर अमेरिका और यूरोपीय देशों की एकदर्जन से अधिक बार यात्रा कर चुकी हैं ।

निजी प्रसंग के बारे में बताया कि अपने बेटे बहू एवं पोते के साथ बिताए पल मेरे लिये अविस्मरणीय है उसमें भी मेरा पोता अभिषेक जो अब वयस्क हो गया है। उससे 4 जुलाई  जो  संयुक्त राज्य अमेरिका का स्वतंत्रता दिवस है, एक स्थान पर जाने के लिये पूछा तो उसने कहा आप सब यदि मेरे साथ मेरी गाड़ी में चलेंगे तो गाड़ी मैं ही ड्राइव करूंगा और उस दिन 9 घण्टे तक गाड़ी चलाकर पूरी जिम्मेदारी के साथ पूरे परिवार को (मुझे और मेरे बेटे बहू) निर्धारित स्थान पर ले गया एवं वापस लेकर आया। मैंने उससे आखिरी में पूछा आज कैसा महसूस कर रहे हो तो उसने बड़ा सुंदर जवाब दिया कि आज मैं अपने आप को एक जिम्मेदार महसूस कर रहा हू ओर प्रसन्नता व्यक्त की कि पहली बार परिवार के साथ यात्रा की ,  तब मुझे लगा कि बच्चों को सही समय पर सही अवसर मिले तो एक जिम्मेदार नागरिक बनकर दिखा देते है। 

डॉ तोमर ने संतोष व्यक्त करते हुए बताया कि भले ही बेटे बहु पोता सात समंदर पार अमेरिका लंबे समय से रह रहे हैं परंतु परिवार के संस्कार और परिवेश स्वस्थ वातावरण के साथ क़ायम रहते हैं यह बहुत सुखद है ।

इस अवसर पर श्रीमती चन्द्रकलासिंह भावसार ने अपना रोमांचक यात्रा संस्मरण सुनाते हुए कहा कि मैं भी डॉ उर्मिला जी  के साथ अमेरिका से लौटी हूॅ। लौटते समय मैंने उनके के भीतर एक सकारात्मक सोच एवं आखिरी समय तक हार नहीं मानने का जज्बा देखा। यह हम सबके लिये एक सीख भी है ।

अमेरिका से भारत वापसी में नईदिल्ली से मंदसौर ट्रेन से आने का रिजर्वेशन था , शाम 4.50 पर नईदिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लेडिंग हुई और 6. 55 पर निजामुद्दीन स्टेशन पर ट्रेन डिपार्चर लगभग डेढ़ घण्टे के कम समय में एयरपोर्ट से लगेज के साथ निकलना, ओर रेलवे प्लेटफॉर्म से हजरत निजामुद्दीन ट्रेन के लिये पहुंचना, कुली के मना करने पर भी उनका हौंसला बढ़ाना  तथा ट्रेन छूटने से मात्र 10 सेकण्ड पहले सामान लगैज और मुझे लेकर ट्रेन में को पकड़ना जाना असंभव को संभव बनाने के लिये सर्तकता ओर हौंसले के साथ विश्वास से संभव होपाया  यह क्षमता डॉ उर्मिला जी तोमर में देखा जो  जीवन का एक यादगार संस्मरण बन गया है।

इस अवसर पर मालवी रचनाकार नंदकिशोर राठौर ने तीन दिवसीय चिंतन शिविर डिकेन नीमच में सम्पन्न साहित्यकारों कलाकारों द्वारा  विभिन्न विधाओं पर केंद्रित चिंतन शिविर के संस्मरण सुनाये।

इस अवसर पर गोपाल पाण्डे ने चन्द्रशेखर आजाद का संस्मरण सुनाया। फैनी जैन ने बासुरी वांदन किया, नरेंद्र त्रिवेदी ने संगीत महाविद्यालय का संस्मरण सुनाया, नरेन्द्र भावसार ने जीवन के हास्य संबंधित संस्मरण सुनाये प्रख्यात गायक राजकुमार अग्रवाल ने भजन सुनाया। 

कार्यक्रम का संचालन नरेन्द्र भावसार ने किया व आभार नन्दकिशोर राठौर ने माना।

इस अवसर पर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ साहित्य परिषद , जनपरिषद मंदसौर टैलेंट समूह , मानव अधिकार आयोग मित्रों सहित अन्य संस्थाओं ने अमेरिका प्रवास से लौटने पर डॉ उर्मिला सिंह तोमर , श्रीमती चंद्रकला सिंह भावसार का स्वागत सम्मान किया ।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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