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कृतज्ञता ज्ञापन : है ख़ुशियों का स्थापन -प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़ )


 कृतज्ञता ज्ञापन : है ख़ुशियों का स्थापन

     हम सृष्टि के कण-कण के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करें व स्नेहमयी मधुर मुस्कान के साथ एक मौन संवाद स्थापित करें। हमारी जिन्दगी की सुखद बुनियाद हमारे अपने सात्विक कर्मों से जुङी है इसलिए हम हर पल सकारात्मक भावों से अपने आपको भावित करें। हमारे जीवन में कृतज्ञता ज्ञापन का गुण होना सही से ख़ुशियों का स्थापन है । शेक्सपियर ने प्रभु से अपील कि कृतज्ञता से सरोबार मुझे दिल देवें । हम चाहते हैं कि उऋण बन सकें। वह आगे के लिए भार न रह जाये । कर्ज कर्ज ही होता है चाहे वह रुपये का हो या हो उपकार का आदि - आदि । रुपयों का कर्ज उतारना कठिन नहीं है पर उपकार की कृतज्ञता करना बड़ा कठिन है क्योंकि हर कोई ऐसा दिल नहीं पाता है इसीलिए शेक्सपियर ने यह अपील की थी । हम हर दिन सुबह उठते ही पुलकित मन, रोमांचित कण-कण में अपने इष्ट को स्मरण करें कि हमको जीवन का एक और सुनहरा दिन मिला और हम इसके लिए कृतज्ञता ज्ञापन करते है । वह तत्पश्चात हम मन ही मन मनन करें कि हमको क्या-क्या करना, आज का सही से यह दिन सुनियोजित कर कैसे बिताना है । अतः हम छोटी-छोटी बातों के लिए भी सही से  कृतज्ञता ज्ञापन करें और ख़ुशियों से मन भरें। हम अपने जीवन में छोटी-छोटी बातों से जितनी प्रसन्नता बटोरेंगे हमारे उतनी ही बड़ी-बड़ी बातों की व्यथा दूर रहेगी। हमारे  जीवन में अगर रहे यों खुशियॉं हमारे साथ तो मन में सदा प्रसन्नता की सरिता बहेगी और तनाव, गुस्सा, अवसाद आदि जैसी अवस्थाएँ पास ही नहीं आयेंगी । वह आगे धीरे- धीरे हमारे जीवन में खुश मन में और ख़ुशी पनपती है जब बात-बात में तो हमको कृतज्ञता ज्ञापन की आदत बढ़ती है। अतः हम हर छोटी-मोटी बात में भी कृतज्ञता ज्ञापन करते रहें और ख़ुशियों से अपने मन को भरते रहें  । यही हमारे लिए काम्य है ।

 - प्रदीप छाजेड़

( बोरावड़ )

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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