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कहानी संवाद आयोजित किया गया



कहानी संवाद आयोजित किया गया

“कहानी उन आवाज़ों को सामने लाती है जिन्हें मुख्यधारा अक्सर अनसुना कर देती है।” - संतोष श्रीवास्तव

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“गीता, सुहागी को देख रही थी। सुहागी पुरषोत्तम को। पुरषोत्तम गीता को। तमन्ना थी बाबू के मरते ही इस बैसाखी वाली को काबू में करेगा। मालूम न था बाबू मर जाएगा पर तमन्ना, तमन्ना ही रह जाएगी।”

(सुषमा मुनीन्द्र की कहानी ‘बैसाखी वाली लड़की’, का एक अंश।)

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''ऐसा भी क्या घर, जहाँ पति पत्नी केवल एक पता यानी एड्रेस यानी मकान नम्बर भर शेयर कर रहे हैं। बाकी सब अलग हैं। जहाँ बच्चा बोर्डिंग में और पिता वृद्धावस्था में हैं।”

(डॉ स्वाति तिवारी की कहानी “स्त्री मुक्ति का यूटोपिया” का एक अंश) 

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अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच का  अभिनव आयोजन, कहानी संवाद ‘दो कहानी- दो समीक्षक’ दिनाँक- 14 जुलाई 2025, सोमवार को शाम 5:30 बजे, गूगल मीट पर आयोजित किया गया। 

इस अवसर अध्यक्षता कर रही अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच की संस्थापक अध्यक्ष संतोष श्रीवास्तव ने अपने वक्तव्य में कहा कि - 

“कहानी संवाद एक ऐसा अभिनव प्रयोग है जो सांस्कृतिक और संवेदनशील हस्तक्षेप के रूप में उभरा है। यह कथा साहित्य की उस परंपरा का निर्वहन करता है जिसे हमारे वरिष्ठ कथाकारों ने निष्ठा और कर्मठता से आगे बढ़ाया है। इसे निरंतर बनाए रखने के लिए ही अंतरराष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच प्रतिमाह कहानी संवाद का आयोजन करता है। 

यहाँ कहानी केवल पढ़कर सुनाई नहीं जाती बल्कि एक विमर्श रचती है। संवाद का स्वरूप लेखक और पाठक दोनों की सहभागिता से होता है। कहानी उन आवाजों को सामने लाती हैं जिन्हें समाज अक्सर अनसुना कर देता है।”

मुख्य अतिथि मनीष वैद्य ने सुषमा मुनीन्द्र की कहानी ‘बैसाखी वाली लड़की’ की विवेचना करते हुए कहा कि-

“ सुषमा मुनीन्द्र के पास कहानी का मुहावरा है। इनकी भाषा जनभाषा, जनता की भाषा अर्थात लोकभाषा होती है। यही कारण है कि इनकी कहानियाँ हमें बहुत नज़दीक महसूस होती हैं। पाठक बहुत गहराई से कहानियों से जुड़ जाता है।"

विशिष्ट अतिथि, विवेक मिश्र ने डॉ स्वाति तिवारी की कहानी, “स्त्री मुक्ति का यूटोपिया” की समीक्षा करते हुए बहुत सारे प्रश्न वर्तमान समाज के सामने रखे। आपने कहा कि -

“आज परिवार का स्वरुप बदल रहा है। आपसी संवेदनाऍं हम खोते जा रहे हैं। मुक्ति अपने आप में ही एक यूटोपिया है। मुक्ति का अर्थ सब के लिए अलग-अलग है। ये सच है कि उपभोक्ता वाली संस्कृति हमारा उपयोग कर एक मशीन में तब्दील कर देती है। ऐसे समय में अगर मनुष्यता बचानी है तो मानवीय मूल्य बचाने होंगे। 

कहानी संवाद कार्यक्रम में कहानियों को सुनना, समझना और उन पर बात करना एक स्वस्थ परम्परा है।”

एक समय ऐसा भी आया जब कहानी संवाद ने कहानी की कार्यशाला का रूप ले लिया। दर्शक दीर्घा में उपस्थित अधिकाँश ने कमेंट बॉक्स में पढ़ी गई कहानियों और उनकी समीक्षाओं पर खुलकर अपनी बात कही। डॉ दुर्गा रानी सिन्हा एवं डॉ सुशीला टाकभौरे ने दोनों कहानियों पर अपनी-अपनी, संक्षिप्त और समीक्षात्मक टिप्पणी भी दी।   

अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच की मध्य प्रदेश इकाई की अध्यक्ष शेफालिका श्रीवास्तव ने कहानी संवाद में उपस्थित सभी साहित्य सुधिजनों का आत्मीय स्वागत किया। कार्यक्रम का सञ्चालन मध्य प्रदेश इकाई के महासचिव मुज़फ्फर सिद्दीकी ने किया। परोक्ष और अपरोक्ष रूप से कार्यक्रम को सफल बनाने में जिन्होंने भी सहयोग किया उन सभी का आत्मीय आभार अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच की मध्य प्रदेश इकाई की निदेशक महिमा श्रीवास्तव वर्मा ने अपने ही एक अलग अंदाज़ में व्यक्त किया। 

- मुज़फ़्फ़र सिद्दीकी

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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