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द्वादश ज्योर्तिलिंग पूजन एवं रूद्राभिषेक प्रारंभ श्रीदुर्गा नवग्रह मंदिर में सोमनाथ ज्योर्तिलिंग का पूजन एवं अभिषेक किया गया


 

द्वादश ज्योर्तिलिंग पूजन एवं रूद्राभिषेक प्रारंभ
श्रीदुर्गा नवग्रह मंदिर में सोमनाथ ज्योर्तिलिंग का पूजन एवं अभिषेक किया गया


इटारसी । आगामी 12 दिन तक चलने वाले इस आयोजन में बारह ज्योर्तिलिंग का पूजन और अभिषेक होगा शनिवार को गुजराज सोमनाथ के पार्थिव ज्योर्तिलिंग का पूजन एवं अभिषेक किया गया । श्री दुर्गा नवग्रह के मंदिर के इतिहास में यह पहला अवसर है जब ग्राम सोनासावरी निवासी यजमान अपने पुत्र ,पुत्रवधू एवं पौत्र ,पौत्रियां सहित ज्योर्तिलिंग पूजन एवं अभिषेक करने आये। नारायण-श्रीमती सेवन्ती दुन्दभी ,नीरज-श्रीमती शिवांगी,सुशांत-श्रीमती पूजा ,योगेश -श्रीमती शोभा, हेमन्त नारायण दुन्दभी,जियान दुन्दभी पौत्र एवं पौत्रियाँ कु.मैथली,कु.वीरा,कु.वाणी दुन्दभी ने पूजन एवं अभिषेक किया। 
पूरे देश में 12 ज्योर्तिलिंग है जिसमें सागर तट पर दो, हिमालय और अन्य पर्वत क्षेत्रों में चार, नदी किनारे तीन और मैदानी इलाकों में तीन ज्योर्तिलिंग स्थित है।
गुजरात के सौराष्ट्र भू-भाग के वेरावल जनपद के प्रभास ग्राम में संसार भर में प्रसिद्ध सोमनाथ ज्योर्तिलिंग स्थित है।
जीवन शिव के बिना अधूरा ही नहीं शव के समान है। शिव ही जगत के अधिष्ठाता है। महिला पुरूष शिव के उपासक होते है। यही कारण है कि परिवारों में मंगल और सुख शांति रहती है। उक्त उदगार मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे ने शिवार्चन के समय व्यक्त किए।
पं.विनोद दुबे ने कहा कि श्री सोमनाथ ज्योर्तिलिंग के संबंध मे बताया जाता है कि दक्ष प्रजापति ने अपनी बाईस कन्याओं का विवाह चन्द्रमा से कराया था। परन्तु चन्द्रमा केवल दक्ष की पुत्री रोहणी से ही प्रेम करता था। दक्ष प्रजापति को यह बात बुरी लगी और उन्होने चन्द्रमा को श्राप दिया की तेरे सभी गुण नष्ट हो जाये। चन्द्रमा ब्रम्हा जी की शरण मे गये तब ब्रम्हा जी के र्निदेश पर प्रभाश  तीर्थ में भगवान मृत्युंजय की तपस्या की। भगवान शिव ने चन्द्रमा से कहा कि प्रत्येक कृष्ण पक्ष में  तुम्हारी कला घटेगी एवं प्रत्येक शुक्ल पक्ष में एक-एक कला बडे़गी। 
पं. विनोद दुबे ने बताया कि सोमनाथ के मंदिर का घंटा 200 टन सोने का हुआ करता था। मंदिर में हीरे के छप्पन खंबे माणिक रत्न आदि से जुड़े हुए थे। उन्होंने कहा कि भगवान की पूजा और अभिषेक के लिए गंगाजल प्रतिदिन हरिद्वार, प्रयागराज, काशी से लाया जाता था। यहाँ पर कश्मीर से पूजन के लिए फूल लाये जाते । यहाँ प्रतिदिन की पूजन के लिए एक हजार ब्राम्हण नियुक्त किये गये थे। इस सोमनाथ मंदिर के लिए 10 हजार ग्रामों की जागीर भी रहती थी। जिसकी आमदनी से परिसर का खर्च चलता था।
प्रमुख आचार्य पं. विनोद दुबे ने कहा कि मोहम्मद गजनवी और खिलजी वंश सहित ओरंगजेब ने इस मंदिर में काफी तोड़फोड़ की। बाद में हिंदू रानी अहिल्या देवी होल्कर ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। आचार्य  पं. सत्येन्द्र पांडे एवं पं. पीयूष पांडे ने श्रद्धालुओं से पूजन एवं अभिषेक संपन्न कराया। 

रविवार को मल्लिकार्जुन ज्योर्तिलिंग के पार्थिव स्वरूप की पूजन एवं रूद्राभिषेक किया जायेगा। 

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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