[प्रसंगवश – 15 जुलाई: विश्व युवा कौशल दिवस]
कौशल ही भविष्य की कुंजी: युवा सशक्तिकरण की नई दिशा
[कौशल यात्रा: डर को हराकर सपनों को साकार करने का संकल्प]
विश्व युवा कौशल दिवस एक ऐसा अवसर है, जो हमें न केवल आत्ममंथन के लिए प्रेरित करता है, बल्कि यह चेतावनी भी देता है कि यदि हमने समय के साथ अपने कौशलों को नहीं ढाला, तो हम एक ऐसी दुनिया में पीछे छूट जाएंगे, जहां परिवर्तन ही एकमात्र स्थायी सत्य है। युवा शक्ति केवल उम्र या उत्साह में नहीं, बल्कि उन कौशलों में निहित है, जो हमें आत्मनिर्भर, सशक्त और वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धी बनाते हैं। जब मैंने अपने जीवन के शुरुआती वर्षों में कदम रखा, तो यह समझ आया कि डिग्रियां और किताबी ज्ञान भले ही आधार हों, लेकिन असल सफलता तो कौशल की वह आग है, जो हमें बदलते परिदृश्य में प्रासंगिक बनाए रखती है। आज, जब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), डिजिटल क्रांति और स्वचालन ने हर क्षेत्र को नया आकार दे दिया है, विश्व युवा कौशल दिवस 2025 की थीम “एआई और डिजिटल स्किल्स के माध्यम से युवा सशक्तिकरण” हमें यह संदेश देती है कि तकनीक को अपनाना अब वैकल्पिक नहीं, बल्कि अनिवार्य है।
आज की दुनिया में, जहां हर दिन नई तकनीकें और अवसर उभर रहे हैं, युवाओं को केवल पारंपरिक शिक्षा पर निर्भर रहना घातक हो सकता है। विश्व बैंक के एक ताजा आंकड़े के अनुसार, 2030 तक वैश्विक स्तर पर 50% से अधिक नौकरियां ऐसी होंगी, जिनके लिए डिजिटल और तकनीकी कौशल अनिवार्य होंगे। भारत जैसे देश में, जहां 65% से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है, यह आंकड़ा हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम अपनी युवा शक्ति को सही दिशा में तैयार कर रहे हैं? मेरे अनुभव में, मैंने देखा कि कैसे मेरे कई मित्र, जो पारंपरिक करियर पथ पर चलते रहे, आज बदलते समय के साथ अप्रासंगिक हो गए। दूसरी ओर, जिन्होंने डिजिटल मार्केटिंग, कोडिंग, डेटा एनालिटिक्स या कंटेंट क्रिएशन जैसे कौशलों को अपनाया, वे न केवल आत्मनिर्भर बने, बल्कि वैश्विक मंच पर अपनी पहचान भी बनाई।
कौशल विकास कोई जटिल प्रक्रिया नहीं है; यह केवल शुरुआत करने और सीखने की इच्छा रखने की बात है। आज, जब मैं देखता हूं कि भारत में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाय) ने 2015 से अब तक 1.4 करोड़ से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित किया है, तो यह स्पष्ट होता है कि सही दिशा में उठाए गए कदम लाखों जिंदगियों को बदल सकते हैं। यह योजना न केवल तकनीकी कौशल प्रदान करती है, बल्कि उद्यमिता और नेतृत्व जैसे गुणों को भी प्रोत्साहित करती है, जो आज के युग में अपरिहार्य हैं।
विश्व युवा कौशल दिवस हमें यह भी सिखाता है कि कौशल केवल तकनीकी या व्यावसायिक नहीं होते। मानवीय कौशल जैसे सहानुभूति, संकट प्रबंधन, और समय प्रबंधन भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। कोविड-19 महामारी ने हमें यह कठोर सबक दिया कि अनिश्चितता के दौर में केवल वही लोग टिक पाते हैं, जो लचीले और अनुकूलनशील होते हैं। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के अनुसार, महामारी के दौरान वैश्विक स्तर पर 25% युवाओं ने अपनी नौकरियां खो दीं, और इसका प्रमुख कारण था अपर्याप्त कौशल। यह आंकड़ा हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम ऐसी शिक्षा और प्रशिक्षण प्रणाली बना रहे हैं, जो युवाओं को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार कर सके?
2025 की थीम “एआई और डिजिटल स्किल्स के माध्यम से युवा सशक्तिकरण” हमें यह बताती है कि तकनीक अब केवल एक उपकरण नहीं, बल्कि भविष्य का आधार है। उदाहरण के लिए, एक हालिया अध्ययन के अनुसार, 2027 तक भारत में एआई से संबंधित नौकरियों की संख्या 20 लाख तक पहुंच सकती है। यह एक सुनहरा अवसर है, लेकिन इसके लिए युवाओं को अभी से कोडिंग, मशीन लर्निंग, और डेटा एनालिटिक्स जैसे कौशलों में महारत हासिल करनी होगी।
कौशल विकास की इस यात्रा में सबसे बड़ी बाधा है हमारा स्वयं का डर और आत्म-संशय। मैंने कई बार देखा कि लोग नई चीजें सीखने से इसलिए कतराते हैं, क्योंकि उन्हें असफलता का भय होता है। लेकिन सच यह है कि असफलता ही वह पहला कदम है, जो हमें सीखने की ओर ले जाता है। विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2025 तक 85 मिलियन नौकरियां स्वचालन के कारण गायब हो सकती हैं, लेकिन 97 मिलियन नई नौकरियां भी सामने आएंगी। यह आंकड़ा हमें यह बताता है कि जो लोग समय के साथ अपने कौशल को अपडेट करेंगे, उनके लिए अवसरों की कमी नहीं होगी।
विश्व युवा कौशल दिवस 2025 हमें यह संदेश देता है कि हर युवा के पास वह शक्ति है, जो दुनिया को बदल सकती है। यह शक्ति डिग्रियों या संसाधनों में नहीं, बल्कि कौशल और जिज्ञासा में निहित है। अपने भीतर की संभावनाओं को पहचानें और उन्हें आकार देने के लिए आज ही पहला कदम उठाएं। चाहे वह एक नई भाषा सीखना हो, डिजिटल टूल्स में महारत हासिल करना हो, या नेतृत्व का गुण विकसित करना हो – हर कौशल आपको एक कदम आगे ले जाएगा। भारत में डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसे कार्यक्रमों ने युवाओं के लिए अनगिनत अवसर खोले हैं। इनका लाभ उठाएं, ऑनलाइन संसाधनों का उपयोग करें, और अपने सपनों को हकीकत में बदलें।
यह दिन केवल उत्सव का नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत का है। यह हमें यह याद दिलाता है कि कौशल विकास एक यात्रा है, जो कभी खत्म नहीं होती। हर कदम पर नई चुनौतियां होंगी, लेकिन यही चुनौतियां हमें मजबूत बनाती हैं। मेरे लिए, विश्व युवा कौशल दिवस का असल मोल यही है कि यह हमें अपने भीतर की आग को जलाए रखने की प्रेरणा देता है। इस अवसर पर हम संकल्प लें कि हम न केवल अपने लिए, बल्कि अपने समाज और देश के लिए भी सशक्त बनेंगे। कौशल ही वह चाबी है, जो भविष्य के हर दरवाजे को खोलेगी।
प्रो. आरके जैन “अरिजीत”, बड़वानी (मप्र)