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हास्य व्यंग्य :: ख़ुदानाखास्ता अकबर-बीरबल के समय में मोबाइल होता... — विवेक रंजन श्रीवास्तव , भोपाल


 

 हास्य व्यंग्य :

ख़ुदानाखास्ता अकबर-बीरबल के समय में मोबाइल होता...


विवेक रंजन श्रीवास्तव 

भोपाल 

7000375798

    यदि मुगल दरबार में मोबाइल फोन की घुसपैठ हो गई होती , सम्राट अकबर तख़्त पर हाथ में  लेटेस्ट आईफोन ए आजम लिए विराजमान होते । बीरबल… वो तब सिर्फ हाजिरजवाब नवरत्नी दरबारी नहीं, बाअदब शाही  इंफ्लुएंसर होते ।  उनके इंस्टाग्राम पर हैश टैग बीरबल ट्रेंड करता । दरबार में दरबारी  खत और फरमान नहीं पढे जाते  व्हाट्सएप चेक होते । यदि कोई दरबारी , दरबार में बादशाह सलामत से नजरें बचाकर कैंडी क्रश  खेलता पाया जाता तो सोचिए उसे क्या सजा दी जाती।

घोड़े पर सवार दूत , नदी नाले पार करते दरबार में आने की जगह जूम मीटिंग में  सलाम बोलते , और धोखा देकर बंदी बनाने की आधी मुश्किल यूं ही निपट जाती । मोबाइल की रिंगटोन गूंजती  “मुग़ल-ए-आज़म कॉलिंग...! सम्राट अकबर  दरबार में घोषणा कर सकते थे “हमने सोचा है कि अब से सभी रजवाड़ों के राजाओं के साथ एक वाट्सएप ग्रुप बना लिया जाए  'राजसी ठाठ"  नाम से।”

बीरबल तुरंत बोले, “जहाँपनाह, कृपया ग्रुप के एडमिन मत बनिएगा, वरना कोई निकल नहीं पाएगा।”

अकबर ने हँसते हुए कहा, “बीरबल, ये मोबाईल बहुत काम की चीज़ है। पर ये बताओ, तुम दरबार देर से क्यों आ रहे हो आजकल?”

बीरबल मुस्कराते हुए बोले, “जहाँपनाह, हमने दरबार की ड्यूटी वर्क फ्रॉम होम में बदल दी है। सुबह ही तो आपको व्हाट्सएप पर मैसेज किया था ‘गुड मॉर्निंग, हुजूर , आज दक्षिण के सिपहसालारों से ऑनलाइन मीटिंग कर रहा हूं।

अकबर भौंहें चढ़ाते हुए बोले, “पर मुझे तो कोई नोटिफिकेशन नहीं आया!”

बगल में खड़े कोतवाल ने कान में फुसफुसाया, “हुज़ूर का मोबाइल अब भी डू नॉट डिस्टर्ब मोड में है।”

जोधा बेगम भी इन बदलावों से खासा परेशान थीं। उन्होंने बीरबल से एक दिन शिकायत की ,  “बीरबल, सम्राट दिन भर मोबाइल में ही लगे रहते हैं। कभी फेसबुक पर शायरी पोस्ट करते हैं, कभी ट्विटर पर बयानों की तलवार चलाते हैं। जन्मदिन भी उन्हें फेसबुक रिमाइंडर से याद आता है। और गिफ्ट में भेजा नजराना भी पेटीएम कर देते हैं, ये कैसा इश्क है राजरानी के लिए?”

बीरबल ठठाकर हँस पड़े “बेगम साहिबा, सम्राट अब डिजिटल शहंशाह हो गए हैं। मन की बात अब सीधे इंस्टाग्राम लाइव में कहते हैं।”

उधर तानसेन अब रियाज़ नहीं कर रहे, बल्कि ‘तानसेन म्यूज़िक’ नाम से यूट्यूब चैनल चला रहे हैं। हर नई रागिनी का प्रीमियर शॉर्ट्स में हो रहा है, नीचे लिखा होता है , डांट फॉरगेट टू लाइक शेयर एंड सबस्क्राइब । दरबारी एक-दूसरे की वीडियो पर कमेंट करके तारीफ़ करते हैं  ‘वाह वाह, क्या क्लासिकल कंटेंट है!’ 

एक मंत्री  वीडियो बना रहा था  ए क्लासिकल नाइट इन दरबार..

अकबर ने झुंझलाकर पूछा, “ये शाही दरबार है या व्लॉगर मीट?”

बीरबल बोले, “हुज़ूर, अब हुकूमत ‘रील्स’ में है, और विरोध ‘कमेंट्स’ में।”

एक बार किसी ने  मीम बना डाला  “जब सम्राट अकबर गूगल मैप्स के भरोसे शिकार पर निकले!” मीम वायरल हो गया। अकबर  ग़ुस्से में बोले  “बीरबल, यह मज़ाक है या शाही तौहीन ?”

बीरबल बोले  “जहाँपनाह, अब मीम के रूप में हमें मौका मिलता है कि हुजूर रियाया के दिमाग को पढ़ सकते हैं। ट्रोलिंग अब एक नया टूल बन गया है।”

अकबर बोले “अब हम दरबार से हटकर , बोट हाउस पर मुखातिब होगे, वहाँ कम से कम मीम्स बनाए जाने का खतरा नहीं होगा ।

 चंगेज़ खान का हमला रोकने के लिए उसे  गूगल पे से तोहफे ऑफर किए गए । दुर्गा पंडित ने गूगल मीट पर हवन करवा दिया। शहजादे सलीम टिकटाक स्टार बन गए, और अनारकली इंस्टा पर ज़िंदा है ,  हर बार नया फ़िल्टर लगाकर।

बीरबल ने अंततः एक दिन सबका मोबाइल जब्त करवा दिया और कहा “जहाँपनाह, मोबाइल से इतिहास नहीं बनता, इतिहास अनुभव और विवेक से बनता है। मोबाइल से हम पोस्ट कर सकते हैं, पर परंपराएं नहीं रच सकते। अगर उस ज़माने में मोबाइल होता, तो शायद अबु-फज़ल ‘अकबरनामा’ न लिखते, बल्कि पॉडकास्ट बना देते ‘दिल्ली दरबार लाइव "

अकबर मुस्कराए  “बीरबल, तुम सचमुच स्मार्ट हो... पर टेक कंपनियों से  ज़्यादा महँगे पड़ रहे हो!”

बीरबल आदाब करते हुए रुखसत हुए ।


विवेक रंजन श्रीवास्तव 

भोपाल

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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