काव्य :
भैया मेरे
दूर वतन की सीमाओं पर,भैया मेरे
भेज रही हूं नेह सूत्र, रिश्तों का बंधन
मां की ममता, बाबा के आंखों की आशा
भाभी का सिन्दूर, चूड़ियों की मृदु भाषा
नन्ही देख रही है रास्ता ,पापा कब आयेंगे
तुम बिन सूनी राखी लगती कब आओगे भैया मेरे!!
सूनी दीवाली की रातें, बेरंगी होली कब बीती
बीत गया झूलों का मौसम,यह सावन सूना ही बीता
घर आंगन त्योहार मनाने कब आओगे,भैया मेरे!!
देश हमें भी प्यारा जग से,भारत मां को शत-शत वंदन
सौंप दिया अपने जीवन को, मातृभूमि का कर अभिनंदन
तुम अमर तिरंगे में लिपटे ,वीरता शिखर पर चढ़ आओगे।
कब आओगे भैया मेरे!!!
- पद्मा मिश्रा जमशेदपुर
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