भगवान गणपति महाराज मुस्कुराये: कवियों ने गणपति महाराज को देश में हो रहे उठा पटक पर अपनी रोष पूर्ण एवं मनोरंजक कविताएं सुनाई
भोपाल । कवियों की जबरदस्त कविताओं से महर्षि गौतम भवन गूंज गया। आज महर्षि गौतम भवन में गणेश उत्सव के अंतर्गत कवियों ने जबरदस्त कविता पाठ किया इसी के साथ-साथ वरिष्ठ पत्रकार श्री रमेश शर्मा को धूमकेतु साहित्यिक मंच ने उनकी 75 वर्ष में प्रवेश करने पर शाल श्रीफल स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। जहां रमेश शर्मा ने कवियों की कविता की बेहद तारीफ की वही देश में सुसंगठित रहने का आव्हान किया। उन्होंने देश को एकता के सूत्र में बांधने में कवियों के योगदान की सराहना की। और उनसे राष्ट्र चिंतन करते रहने का आग्रह किया। संस्कृति चिंतक राज किशोर भार्गव ने भगवान गणपति के विभिन्न रूपों की सुंदर समीक्षा की।
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता प्रसिद्ध हास्य व्यंगकार कवि धूमकेतु ने की और संचालन भी उन्होंने किया ।
इस कवि सम्मेलन में धूमकेतु के अतिरिक्त शंकर दीक्षित मुख्य अतिथि ने भी अपनी शानदार रचनाओं से श्रौताओं आनंदित किया। वहीं युवा कवि यश धुरंधर ने अपनी ओजपूर्ण कविताओं से वातावरण गुंजा दिया। कार्यक्रम के शुरुआत में बालकवि यशांश दुबे ने अपनी शानदार कविता से लोगों का मन मोह लिया ।उन्हें लोगों ने नोट भेंट किये। इसके बाद गोकुल सोनी, कवि चंद्रभान पवार, सुहागपुर से आये शरद व्यास, मयंक वेध, व्यंगकार अशोक शर्मा ,बालकृष्ण उपाध्याय, शिवांश सरल सहित सभी ,ने अपनी जोरदार कविताओं का पाठ किया।
कुछ झलकियां
धूमकेतु
जगत के पालक शंकर का आदेश पुत्र गणेश को हास्य कविता ,,,,,,,,,,,,,
सता रहे जो मेरे भक्तों को , कर रहे अत्याचार
मार गणेश मार सालो को पटक पटक कर मार।
स्वार्थ साध रहे जो जो नेता, मीठे जिनके बेन
उनकी जात अगर दिख जाये मिलता उनको चैन
ऐसे जातिवादी नेता को दचक दचक कर मार
मार गणेशा मार सालो को पटक पटक कर मार।
शंकर दीक्षित ,,
किस-किस का हम दर्द सुनाएं जो देखो सो रो लिया
गणपति बप्पा मोरिया आधा लड्डू चोरिया।
गोकुल सोनी
एक जन्म में बना दे पंडा। चिकन खोपड़ी हाथ में डंडा ।
घोटालों का पोथी पत्रा जनता की नजरों में लाऊं।
बेईमानों और भ्रष्ट जनों को जनता के हाथों पिटवाऊं।
दे दे गणपति ऐसी शक्ति देश की खातिर फर्ज निभाऊं।
यश धुरंधर
बरसों से हम जूझ रहे हैं दुनियां आंखें मीचे
एक झटके में ऊट आ गया आज पहाड़ के नीचे
शांति प्रतिमा जिसने तोड़ी और किया अपमान
स्वर्णिम अवसर आ मिला है मत चूके चौहान
मयंक वैध
हर गली में गूंजी है ललकार वंदे मातरम
दिल से बोलो तुम भी मेरे यार वंदे मातरम
सोचा था ट्रैफिक लगाकर तोड़ देंगे हौसला
ट्रंप को उल्टा पड़ा ये बार वंदे मातरम
शरद व्यास ने बाढ़ की विभिषिका पर बहुत संवेदनशील गीत पढ़ा,वही व्यंगकार अशोक शर्मा ने तीखे व्यंग्यों से समा बांधा।
यशांश दुबे
बाल कवि ने देश की दुर्दशा पर कहा,,,,,
चित्तौड़ी की शान है नहीं तुम्हें क्या भान है
कोई झांसी वाली हो कोई दुर्गा काली हो।
अन्य कवियों में चंदर, शिवांश ने बढ़िया कविता पाठ किया और राकेश शर्मा ने राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता पढ़ का कवि सम्मेलन को गरिमा तक पहुंचा दिया।
अंत में संजय व्यास ने सभी का आभार जताया। श्री गणेश की महा आरती में सभी ने सामूहिक आरती उतारी।
रिपोर्ट कवि धूमकेतु