गणेश उत्सव पर काव्य वंदना हुई
छिंदवाड़ा । सिग्नेचर कालोनी के निवासियों द्वारा में गणेश महोत्सव पर काव्य संध्या का आयोजन किया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ श्री विघ्नहर्ता के पूजन और अनुराधा तिवारी द्वारा प्रस्तुत मां सरस्वती की वन्दना से हुआ। श्री अंशुल शर्मा जी के शानदार संचालन में जिले भर से आमंत्रित कवियों ने काव्यपाठ किया
कवि रहेश वर्मा ने पढ़ा -
हम महफिल सजी सजाई चाहते हैं,
ये समझिए कि हम मलाई चाहते हैं।
जो खुद नल्ले हैं, शराबी , ग्वार भी हैं,
वो भी अपना शरीफ जमाई चाहते हैं।
हरिओम माहोरे "अर्पण", ने पढ़ा -
ख़्वाब में भी बुना हूँ प्रणय के लिए,
जान सबकी सुना हूँ प्रणय के लिए।
तुम कहो हाँ तो वादा है तुमसे मेरा,
मैं तुम्हें ही चुना हूँ प्रणय के लिए
कवि शशांक दुबे ने पढ़ा -
शौर्य की कहानियों को वीर बलिदानियों को,
झूठे इतिहास तले हम न दबाएंगे।
युद्ध थाल आरती की गाथाएं मां भारती की,
आने वाली पीढ़ियों को भाव से सुनाएंगे।
कवियत्री अनुराधा तिवारी ने पढ़ा -
दान करो जप तप करलो तुम संकट कभी ना टलता है।
तीरथ व्रत चाहे कर लो तुम दुख का सूर्य न ढलता है।।
अन्नदान कर नगर जिमाओ कर लो चाहे लाख जतन
मात-पिता जब तक भूखे हों भंडारा नहीं फलता है।।
कवि शशांक पारसे "पुष्प" ने पढ़ा -
जीवन की साँझ हुई, किसकी बाट निहारे।
लड़खड़ाते तेरे पाँव, जैसे धरती लेत हिलोरे।
कवि अंशुल शर्मा ने पढ़ा -
पैसा लगता है पैसा कमाने में,
वरना कौन पूछता है जमाने में।
और अभी भी वक्त है जरा सम्भल जाओ,
कौन कसर छोड़ता है नीचा दिखाने में
जिले के वरिष्ठ कवि विजय आनंद दुबे ने पढ़ा -
कंडीशन ये कैसी कैसी हो गई,
देखते ही देखते हैं देखो भैया,
अपने नेशन की ऐसी तैसी हो गई।
कंडीशन ये कैसी कैसी हो गई।।
कवि श्री शशांक दुबे ने कार्यक्रम की सफलता पर उपस्थित जनों का विशेष आभार व्यक्त कर कार्यक्रम का समापन की घोषणा की।