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व्हाट्सएप को कितना जानते हैं आप - विवेक रंजन श्रीवास्तव , भोपाल


 व्हाट्सएप को कितना जानते हैं आप 

 - विवेक रंजन श्रीवास्तव , भोपाल

      आज हमारे रोजमर्रा के जीवन में व्हाट्स अप वह अनिवार्य हिस्सा बन चुका है, जिसकी कल्पना के बिना संवाद अधूरा लगता है। यह केवल एक संदेश भेजने वाला मोबाइल ऐप नहीं रहा बल्कि आधुनिक सामाजिक संरचना का एक मूलभूत तत्व जैसा बन गया है। इसकी कहानी एक साधारण तकनीकी जिज्ञासा से शुरू हुई जब दो इंजीनियरों ने यह सोचा कि मोबाइल फोन पर यह दिखाना कितना उपयोगी होगा कि कोई व्यक्ति उपलब्ध है या नहीं। इस विचार ने फरवरी दो हजार नौ में जन्म लिया और व्हाट्सएप नाम का यह छोटा सा प्रयोग धीरे धीरे दुनिया की सबसे लोकप्रिय संचार सेवाओं में बदल गया। प्रारंभ में सिर्फ एक स्टेटस आधारित ऐप के रूप में शुरू हुआ यह प्लेटफॉर्म जैसे ही संदेश भेजने और इंटरनेट आधारित संचार की दिशा में बढ़ा तो लोगों का इस पर भरोसा बढ़ता गया ।  यह विश्वास उस समय और पुख्ता हो गया जब स्मार्टफोन ने विश्व बाजार में कदम जमाना शुरू किया। सरलता, सस्ते डेटा की खपत और बिना किसी विज्ञापन के स्वच्छ उपयोग अनुभव ने इसे हर उम्र और हर वर्ग के स्मार्ट फोन के लिए आकर्षक बना दिया।

समय के साथ इसका उपयोग सिर्फ मित्रों के बीच क्षणिक संदेश भेजने तक सीमित नहीं रहा बल्कि पारिवारिक समूहों से लेकर कार्यालयों तक सभी ने इसे अपनाया। छवियां, वीडियो, दस्तावेज, स्थान और संपर्क विवरण भेजने जैसी सुविधाओं ने इसे पारंपरिक एसएमएस और ईमेल का सहज विकल्प  बना दिया है। धीरे धीरे वॉयस कॉल और वीडियो कॉल ने इसे मोबाइल संचार का सर्वाधिक पूर्ण साधन बना दिया है 

 इंटरनेट क्रांति के प्रारंभ में विदेशों में स्काइप पर कम्प्यूटर पर बातें होती थीं। व्यस्त जीवन में जहां लोग लंबी बातचीत के लिए समय नहीं निकाल पाते, वहीं अब व्हाट्सएप के छोटे छोटे संदेश आपसी संबंधों की गर्माहट बनाए रखने की लोकप्रिय व्यवस्था बन गए हैं। इसके स्टेटस फीचर ने निजी अभिव्यक्ति का एक अलग ही संसार खोल दिया जिसमें लोग अपनी भावनाएं, खबरें, विचार और दैनिक गतिविधियां साझा करने लगे।

नई तकनीक के जिस दौर में सोशल मीडिया लगातार बहुरंगी होता जा रहा था, व्हाट्सएप ने भी एक के बाद एक ऐसे फीचर जोड़े जो इसे और व्यापक बनाते चले गए। मल्टी डिवाइस सपोर्ट ने फोन के बिना भी चैट जारी रखने की सुविधा दी जिससे कामकाजी लोगों को बड़ा सहारा मिला। चैनल और कम्युनिटी जैसे फीचर आने के बाद यह मंच व्यक्तिगत संवाद से आगे बढ़कर सामुदायिक सूचना के प्रसार का केंद्र बन गया। एकतरफा प्रसारण की इसकी क्षमता ने पत्रकारों, कलाकारों, संगठनों और सरकारी एजेंसियों को सीधे जनता तक संदेश पहुंचाने का नया रास्ता दिया। हाल के वर्षों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित चैट सारांश और स्वचालित सुझावों पर भी प्रयोगों ने इसके भविष्य के आकार का संकेत दे दिया है।

व्यवसायिक उपयोग के क्षेत्र में भी यह ऐप किसी क्रांति से कम नहीं। छोटे दुकानदारों से लेकर बड़ी कंपनियों तक सभी ने ग्राहकों से तत्काल संवाद के लिये व्हाट्सएप को अपनाया है। व्हाट्सएप फॉर बिजनेस और बिजनेस एपीआई ने इसे ग्राहक सेवा, ऑर्डर प्रबंधन और सूचना प्रसारित करने की सुव्यवस्थित प्रणाली में बदल दिया। ये सेवाएं संदेशों के आधार पर शुल्क लेकर ऐप को आय प्रदान करती हैं और आज यही इसकी आय का सबसे प्रमुख स्त्रोत है। कुछ देशों में डिजिटल भुगतान की सुविधा ने इसे वित्तीय लेनदेन का माध्यम भी बना दिया है और आने वाले वर्षों में इसके विस्तार की पूरी संभावना है।

भविष्य की कल्पना करें तो यह मंच और भी बहुआयामी होता दिखाई देता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बढ़ते उपयोग के साथ यह संभव है कि ऐप उपयोगकर्ता की आवश्यकता समझकर संदेशों का सार, संभावित उत्तर और आवश्यक सूचना स्वतः प्रदान करने हेतु सक्षम बना दिया जाए। व्यापारिक सेवाओं में स्वचालन और चैटबॉट जैसी प्रणालियों का विस्तार छोटे कारोबारों को अधिक सक्षम बना सकता है। भुगतान प्रणालियों के एकीकरण से यह छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण आधार बन सकता है। हालांकि इन संभावनाओं के साथ चुनौतियां भी मौजूद हैं। गोपनीयता और डेटा सुरक्षा की बढ़ती चिंताएं इसके भविष्य के कदमों को नियंत्रित करेंगी। दुनिया भर में डिजिटल प्लेटफार्मों पर नियम कड़े हो रहे हैं और किसी भी छोटी चूक पर आलोचना का खतरा बना रहता है।

विदेशी साइबर फ्राड के खतरे भी इससे सामने आए हैं। जिनके चलते उपयोगकर्ता की सतर्कता वांछित है।

फिर भी इन सबके बीच व्हाट्सएप की सबसे बड़ी ताकत इसकी सरलता और भरोसा है। दुनिया के कई हिस्सों में जहां संचार माध्यम महंगे या कठिन उपलब्ध होते हैं, वहां यह ऐप इंटरनेट की एक छोटी सी खिड़की खोलकर लोगों को जोड़ता है। परिवारों को करीब लाने, कारोबार को गति देने और समाज को सूचित रखने में इसकी भूमिका लगातार बढ़ती जा रही है। एक छोटा सा प्रयोग आज वैश्विक संचार का पर्याय बन चुका है और आने वाले वर्षों में भी यह हमारे संवाद जीवन के केंद्र में बना रहेगा, उतना ही शांत, उतना ही सहज और उतना ही आवश्यक।


विवेक रंजन श्रीवास्तव

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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