कोहिनूर' लिखने दो!
मौसम ए दिल में ज़रा सुरूर दिखने दो,
आंखों में तुम्हारे प्यार का गुरूर दिखने दो!
आ ही गया है, देखो ना, अब बहारों का मौसम,
तुम्हारे खयालों से रौशन इश्क़ ए नूर लिखने दो!
क्यूँ छुपाऊं ज़माने से खुशमिजाज़ी की वजहात,
बौरा गया है दिल मेरा, इसके फितूर लिखने दो!
राब्ता तुमसे मेरा, कई जन्मों का लगता है,
इसकी किस्मत में मुझे 'चश्मे बद्दूर' लिखने दो!
तुम्हारे ख़त का हर एक लफ्ज़ बेशक़ीमती मेंरे लिए,
दिल के आशियाँ का नाम 'कोहिनूर', लिखने दो!
- वन्दना रानी दयाल,दिल्ली
Tags:
काव्य