इंटरनेट मीडिया कैसे बने अपराध के घर ?
संस्कृति और सभ्यता पर गर्व करने वाले क्षदेश में आज जो हो रहा है उसने सभी का सिरशर्म से नीचा कर दिया। सामूहिक बलात्कार और उसके बाद हत्या यह तो दानव हो या मानव भी किसी की संस्कृति में नहीं ।हर संस्कृति की अपनी एक मर्यादा ।आज मर्यादा हीन नैतिक पतन और अमानवीय आचरण हर जगह देखने को मिल रहे ।प्रश्न उठता है आखिर ऐसा क्यों हो रहा ?इसके पीछे छिपे अज्ञात कारणों को खोजना होगा । बंगाल की ट्रेनी डाक्टर के साथ आर.जी.मेडीकल कालेज के प्रिंसिपल और उसके सहयोगियों ने जो किया वह सुनकर ही रोगंटे खड़े होजाते हैं । बलात्कारियों की रक्षा में स्वयं पुलिस और बंगाल की ही महिला मुख्य मंत्री ममता बनर्जी का उन्हें संरक्षण देना । हरियाणा की बस में ड्राइवर और कंडक्टर के द्वारा छात्रा से बलात्कार के बाद हत्या ।लगता है यह रोजमर्रा के चरित्रहीन लोगों के कार्य होगये ।स्त्री आज न घर में सुरक्षित और न बाहर उसके अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा ।
आज जो कुछ भी इस देश में हो रहा है उसने सभी को विचलित कर दिया हमारी संस्कृति और सभ्यता के विनाश के बाद चारित्रिक नैतिक पतन ।इस सबमें दोष किसका आज सबसे बड़ा चिंतन का विषय है व्यक्ति परिवार और समाज इन तीनों के सहयोग से ही तो व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता है ।शिक्षा के स्ंस्थान और छात्रावास जो व्यक्ति के व्यक्तित्व एवं चरित्र निर्माण के साधन थे । आज वही स्थान लोगों की ऐशगाह बनते जा रहे । कितने गर्त में गिरोगे और अपने देश का चारित्रिक हनन करते जिन्हें शर्म नहीं । एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है ।इसी तरह एक ट्रेनी महिला डाक्टर के कारण सारा देश उद्वेलित वह बंगाल जहां नारी को माँ कहकर सम्मान दिया जाता संस्कृति का उद्गाहन आज दुराचार भ्रष्टाचार ,और अराजकता के बदनाम । अपने ही देश में क्या इनका संचालन कोई और कर रहा है जो निरंतर धमकियां देकर बच्चों से भी अवैध कार्य करवाते हैं ।
आज इंटरनेट मीडिया जो भी अश्लीलता दिखा कर लोगों को लुभा रहा उसका बच्चों पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक । बच्चे वह जो कच्ची मिट्टी के घड़े । कोमल संवेदनशील मन वाले भ्रमित होकर उनके जाल में फंस कर गलत मार्ग पर चल देते हैं ।इसके दुष्परिणाम से अपरिचित। अश्लील वीडियो के शिकार बात अधिक बिगड़ने पर बदनामी के भय से आत्म हत्या करलेते हैं आज कितने घर उजड़ गये ।यदि इन परिस्थितियों पर प्रशासन समाज परिवार और व्यक्ति को स्वयं सचेत होना होगा । तभी एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो पायेगा ।अंत में
यही कहते हुये कि आज हम सबको सचेत रहना है ।अपनी संतान की सुरक्षा के लिये ।यदि समय रहते शिक्षा संस्थान ,और प्रशासन और समाज नहीं चेता तो छात्रावास क्या संपूर्ण देश ही लोगों की ऐशगाह बन जायेगा । हमें लौटना पुन: अपनी ही खोई हुई संस्कृति की ओर नीति और आचरण की शिक्षा देने के लिये । मानवीय मूल्यों को नष्ट होने सेबचाने के लिये । मानवीय संवेदनाओं को मृतहोने से पूर्व प्राण वायु देने के लिये । चिंतन की धारा बदलनी होगी अंत मेंजैसी हमारी सोच और विचार होंगे उसी के आधार पर व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण भी होगा। परिवार , समाज ,शिक्षा और शासन की व्यवस्था सभी के पूर्ण सहयोग से ही यह कार्यसंभव है।
उषा सक्सेना -मुंबई