ad

काव्य : आजकल - आर एस माथुर,इंदौर


 काव्य : 

आजकल


एक  बगावत  हो गई  है आजकल ।

तेरी आदत   हो  गई  है आजकल ।


बेवजह भी  अश्क   आते  आंख में।

कैसी  फितरत  हो गई है आजकल।


क्या  तुझे है  प्यार करना  भूल सा।

क्यों जलालत  हो गई  है आजकल।


जो गलत उसको गलत कहना सुनो।

एक  बगावत  हो  गई  है आजकल।


तेरी खातिर  दुनिया  से लड़ता रहा।

तू    मेरी लत हो   गई है आजकल।


जो   सुकूं    बाहों  में   तेरी है मिला।

जैसे   जन्नत हो   गई   है आजकल।


- आर एस माथुर,इंदौर

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

Post a Comment

Previous Post Next Post