व्यंग्यकार शरद जोशी स्मृति प्रसंग अन्तर्गत व्यंग्य संग्रह ‘अगले जनम मोहे कुत्ता कीजो’ पर विमर्श एवम व्यंग्य गोष्ठी संपन्न
भोपाल 08 सितंबर। भोजपाल साहित्य संस्थान के व्यंग्य प्रकोष्ठ द्वारा शरद जोशी स्मृति प्रसंग अन्तर्गत प्रियदर्शी खैरा की अध्यक्षता और डॉ साधना बलबटे के मुख्य आतिथ्य में मसाला रेस्टोरेंट में व्यंग्य विमर्श गोष्ठी का आयोजन किया गया। सुदर्शन सोनी विशिष्ट अतिथि रहे । सफल और सरस संचालन व्यंग्यकार गोकुल सोनी ने किया।
स्वागत उद्बोधन चन्द्र भान राही ने किया। कार्यक्रम संयोजक सुरेश पटवा ने सबसे पहले शरद जोशी पर बीज वक्तव्य पढ़ा गया। उन्होंने कहा कि हरिशंकर परसाई और शरद जोशी हिन्दी साहित्य में व्यंग्य के समानांतर हस्ताक्षर थे। परसाई व्यंग्य के औघड़ व्यंग्यकार और शरद जोशी जी एक भद्र व्यंग्यकार थे। उसके पश्चात सुदर्शन सोनी ने पुस्तक ‘अगले जनम मोहे कुत्ता कीजो’ पर विचार रखे और एक ‘जनरेशन गैप इन कुत्ता पालन’ रचना पढ़कर सुनाई। विवेक रंजन श्रीवास्तव ने समीक्षा व्यंग्य विधा पर अत्यंत बारीकी से प्रस्तुत करते हुए अपना व्यंग्य ‘डॉग शो बनाम कुत्ता स्वाँग’ पढ़ा। शारदा दयाल श्रीवास्तव ने अत्यंत बुद्धिमत्ता पूर्ण समीक्षा प्रस्तुत की और ‘जल समाधिस्थ सेतुनामा’ सुनाई।
प्रियदर्शी खैरा ने कहा कि शरद जी की रचनाएँ सीधे दिल में उतरती थीं। डॉ साधना बलबटे ने कहा कि शरद जोशी मानते थे कि व्यंग्य एक प्रवृत्ति है जिसे शैली के रूप में पहचाना जाना चाहिए। उन्होंने जीवन उपयोगी प्रत्येक वस्तुओं और जीवों पर विषयों पर लेखनी चलाई है। उन्होंने ‘पुरखिन हिन्दी’ रचना का पाठ किया।
गोकुल सोनी ने संचालन करते हुए शरद जोशी जी के चुटीले वाक्य प्रस्तुत किए।
वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने ‘सरकारी आदमी’, बिहारी लाल सोनी ने ‘भोपाली बातचीत’, सतीश चंद्र श्रीवास्तव ने ‘आह हिन्दी वाह हिन्दी’, चरणजीत सिंह कुकरेजा ने ‘ग्रीन विटामिन बटोरने की धुन’, आरती शर्मा ने ‘ऐसी की ऐसी तैसी’, चन्द्रभान राही ने ‘कुत्ते का स्वाँग’, अरविंद मिश्र ने "यह कहकर शर्मिंदा न करें", संजय सरस ने ‘सच का सामना’, यशवंत गोरे ने ‘ईडी की दस्तक से ऊँचा हुआ मस्तक’ व्यंग्य रचनाएँ सुनाईं। अंत में श्री प्रियदर्शी खैरा द्वारा आभार प्रदर्शन के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।
गोकुल सोनी