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काव्य : बदनाम न करो...-अंजनी कुमार'सुधाकर' ,बिलासपुर


 काव्य : 

बदनाम न करो...


एक समय था युगधर्म त्रेता का 

सत्य धर्म और न्याय का काल;

दैहिक दैविक भौतिक न कष्ट 

नहीं पड़ता था दुर्भीक्ष अकाल।


माता कैकेई मुख सुन आदेश

पितृ धर्मार्थ राम गये वनवास;

कृतज्ञ भाव कर धन्यता बोध 

अव्यक्त दुख पीड़ा अवसाद।


रह विरक्त वल्कल वस्त्रावृत 

सिर चरण पादुका धार्य किये;

रख राजसिंहासन पर खड़ाऊं 

अग्रज के निमित्त राज्य किये।


नन्दी ग्राम जा बैठे बन नन्दी 

किये भ्रात प्रतीक्षा चौदह वर्ष;

राजसुख त्यागे अनुज भरत ने

किये प्रायश्चित तपश्चर्य अमर्ष।


वह सत् युग था,यह कलयुग है

अब न रहे पुत्र राम,भ्रात भरत;

अन्याय अधर्म की कुर्सी बैठे हैं 

नाटक खेल रहे अपात्र कूटक।


करो न अपवित्र नाम राम का

करो न तुलना पाखंड फरेब से;

ठग मक्कार लूटेरे जग जाहिर 

करते चोरी जनता की जेब से।


-अंजनी कुमार'सुधाकर' ,बिलासपुर

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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