काव्य :
71वें अमृत वर्षम पर,
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संरक्षण, पथदर्शन अम्मा..
इंजिनियर अरुण कुमार जैन
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त्याग, तपस्या, सेवा, करुणा, की सतत प्रवाही गंगा,
अमृतपुरी से सकल विश्व को, तृप्ति दिलाती अम्मा.
माँ, देवी, जगदम्बा, ईश्वर, कितने नाम तुम्हारे,
ममता, नेह,दुलार के निझर्र,
बहते तेरे द्वारे.
केरल की पावन धरती से, उदगम इसकी धारा,
सकल विश्व ने मन्दाकिनी से,
तृप्ति सुधा रस पाया.
पीर मिटायी तन व मन की, आगे हमें बढ़ाया,
भौतिक संतुष्टि के संग,
आध्यात्म अमृत पिलवाया.
सकल धरा पर, कोटि -कोटि जन,
अम्मा वंदन करते,
कलयुग में सतयुग की माँ का,
ये अभिनन्दन करते.
देह व मन की पीर मिटाकर, शिक्षा ज्ञान दिया है,
आवास, वस्त्र, भोजन के संग,
अम्मा सम्मान दिया है.
कौशल ज्ञान दे वंचित जन को,
मन विश्वास दिया है,
लाखों स्वाभिमान से जीते,
माँ ने मान दिया है.
तकनिकी, मेडिकल, विधि, विज्ञान की शिक्षा देतीं,
ज्ञान दीप से कोटि ह्रदय को,
आलोकायान करतीं.
दत्तन, लक्ष्मी, बेटे, बेटी, लाखों इस वसुधा पर,
कोटि दीप जले आशा के,
सबके अंतस्थल पर.
रंक, अकिंचन से नरेश तक,
पद वंदन को आते,
मन वांछित पाकर वे अम्मा,
तृप्ति सुधा रस पाते.
इकहत्तर वें अमृत वर्षम पर,
रोम -रोम पुलकित है,
कोटि जनों का ये अंतर्मन, हर्षित व प्रमुदित है.
करते वंदन व अभिनन्दन, अपना शीश झुकाके,
हों शतायु अम्मा हम सबकीँ,
नयन रहें मुस्काते.
संरक्षण, पथ दर्शन अम्मा, आलम्बन नित देना,
मुक्ति महल तक प्यारी अम्मा, सम्बल प्रति पल देना.
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
अमृता हॉस्पिटल, फ़रीदाबाद, हरियाणा.
मो 7999469175
त्याग, तपस्या, सेवा, करुणा, की सतत प्रवाही गंगा,
अमृतपुरी से सकल विश्व को, तृप्ति दिलाती अम्मा.
माँ, देवी, जगदम्बा, ईश्वर, कितने नाम तुम्हारे,
ममता, नेह,दुलार के निझर्र,
बहते तेरे द्वारे.
केरल की पावन धरती से, उदगम इसकी धारा,
सकल विश्व ने मन्दाकिनी से,
तृप्ति सुधा रस पाया.
पीर मिटायी तन व मन की, आगे हमें बढ़ाया,
भौतिक संतुष्टि के संग,
आध्यात्म अमृत पिलवाया.
सकल धरा पर, कोटि -कोटि जन,
अम्मा वंदन करते,
कलयुग में सतयुग की माँ का,
ये अभिनन्दन करते.
देह व मन की पीर मिटाकर, शिक्षा ज्ञान दिया है,
आवास, वस्त्र, भोजन के संग,
अम्मा सम्मान दिया है.
कौशल ज्ञान दे वंचित जन को,
मन विश्वास दिया है,
लाखों स्वाभिमान से जीते,
माँ ने मान दिया है.
तकनिकी, मेडिकल, विधि, विज्ञान की शिक्षा देतीं,
ज्ञान दीप से कोटि ह्रदय को,
आलोकायान करतीं.
दत्तन, लक्ष्मी, बेटे, बेटी, लाखों इस वसुधा पर,
कोटि दीप जले आशा के,
सबके अंतस्थल पर.
रंक, अकिंचन से नरेश तक,
पद वंदन को आते,
मन वांछित पाकर वे अम्मा,
तृप्ति सुधा रस पाते.
इकहत्तर वें अमृत वर्षम पर,
रोम -रोम पुलकित है,
कोटि जनों का ये अंतर्मन, हर्षित व प्रमुदित है.
करते वंदन व अभिनन्दन, अपना शीश झुकाके,
हों शतायु अम्मा हम सबकीँ,
नयन रहें मुस्काते.
संरक्षण, पथ दर्शन अम्मा, आलम्बन नित देना,
मुक्ति महल तक प्यारी अम्मा, सम्बल प्रति पल देना
- अमृता हॉस्पिटल, फ़रीदाबाद, हरियाणा.
मो 7999469175