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कथा कहानी : स्फुरदीप्ति - विभा रानी श्रीवास्तव, पटना


कथा कहानी 

 स्फुरदीप्ति

    “ज्येष्ठ में शादी के लिए मैं इसलिए तैयार हुआ था कि ‘एक पंथ -दो लक्ष्य’ बेधने का मौक़ा मिल रहा था! हनीमून के लिए रोहतांग पास-स्पीति वैली जाना और पर्यावरण दिवस के लिए होने वाली प्रतियोगिता में तुम्हारा सहयोगी होना चाहता था…!”

“तुमने ख़ूब याद दिलायी! मुझे तुमसे अपनी उत्सुकता के निदान भी जानने थे…।”

“ये हसीन वादियाँ, ये खुला आसमाँ

इन बहारों में दिल की कली खिल गई

मुझको तुम जो मिले, हर ख़ुशी मिल गई 

ऐसे में तुम अभी भी पर्यावरण दिवस में ही उलझी हुई हो? पूछ ही लो -अपनी उलझन दूर कर लोगी तो आनन्द से आगे का पल गुजर सकेगा…!”

“ग्रीष्म शिविर में पर्यावरण दिवस के विषय पर चित्र बनाकर रंग भरने वाली प्रतिभागिता में तुमने सभी को सहभागिता प्रमाण पत्र क्यों नहीं दिया? बहुत ही छोटे-छोटे अबोध विद्यार्थियों को प्रथम-द्वितीय में बाँट कर प्रतियोगिता में बढ़ने वाले द्वेष को बढ़ाने की ओर क्यों प्रेरित करना!”

“तुमने गौर से देखा, एक अबोध बच्चे ने कुँआ के अन्दर के अँधेरे को कितनी बारीकी से उकेरा और श्वेत-श्याम में ही चित्रकारी की थी…! द्वेष नहीं स्पर्धा की ओर प्रेरित करना। होड़ नहीं होगा तो समाज कैसे बदलेगा…!”


विभा रानी श्रीवास्तव, पटना

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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