सतीश चन्द्र श्रीवास्तव को 'मुंशी प्रेमचंद' प्रथम पुरस्कार मिला
भोपाल। भारतीय रेल के सर्वोच्च मंच रेलवे बोर्ड की लाल कालीन पर खड़े होना प्रत्येक रेल कर्मी का स्वप्न होता है। रेल सेवक, कवि, लेखक तथा व्यंग्यकार श्री सतीश चन्द्र श्रीवास्तव के इस स्वप्न को हकीकत में बदला उनके ही सद्द प्रकाशित कृति "मतलब अपना साध रे बंदे...' (व्यंग्य कथा संग्रह) ने।
रेलवे बोर्ड, नयी दिल्ली से पुरस्कार प्राप्त कर लौटे श्री सतीश चन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि उनकी यह पुस्तक "मतलब अपना साध रे बंदे...' न सिर्फ भोपाल में बल्कि बालाघाट, जबलपुर (म.प्र.) व सीतापुर, (उ.प्र) में चर्चित एवं सम्मान हेतु चयन के पश्चात रेल राजभाषा निदेशालय द्वारा 'मैथिली शरण गुप्त/मुंशी प्रेमचंद पुरस्कार योजना' आधार वर्ष-2022 के तहत पुस्तक 'मतलब अपना साध रे बंदे (व्यंग्य कथा संग्रह) गद्य साहित्य को 'मुंशी प्रेमचंद' 'प्रथम' पुरस्कार दिनांक 18/10/2024 को रेलवे बोर्ड, रेल भवन, नई दिल्ली के सम्मलेन हाल में आयोजित 'संगीत संध्या एवं पुरस्कार वितरण' के भव्य कार्यक्रम में मुख्य अतिथि माननीय श्री आर. राज गोपाल, महानिदेशक मानव संसाधन के कर कमलों द्वारा प्रदान किया गया। इस अवसर पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं डा. वरूण कुमार सिंह, राजभाषा निदेशक की गरिमामयी उपस्थिति भी रही।
श्री सतीश चन्द्र श्रीवास्तव सवारी डिब्बा पुनर्निर्माण कारखाना भोपाल (म.प्र.) में वरिष्ठ तकनीशियन के पद पर कार्यरत थे तथा माह मई 2024 में रेल सेवा से सेवा निवृत्त होकर पूर्णकालिक साहित्य सेवा में संलग्न हैं। इनके द्वारा रचित 03 कृतियां no क्रमशः 'खुशियों का डेरा...'(काव्य संग्रह), 'हाथी के दांत' (लघुकथा संग्रह) एवं 'मतलब अपना साध रे बंदे...'(व्यंग्य कथा संग्रह) प्रका शित हो चुकी हैं।