काव्य :
मेरा भारत महान,सूरज को आंख दिखाना सब के बस की बात नहीं
।। विधा।। गीत।।
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सूरज को आंख दिखाना सब के बस की बात नहीं।
भारत भूमि को छीन सके अब किसी की औकात नहीं।।
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आज संपूर्ण विश्व कर रहा भारत वर्ष का गुणगान है।
संसार में शांति स्थापित हो यह भारत का अभियान है।।
भारत की नभ जल थल सेना में होती कभी रात नहीं।
सूरज को आंख दिखाना सब के बस की बात नहीं।।
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विश्व में प्रख्यात अब भारत का पराक्रम और शौर्य है।
जन-जन बसा वसुधैव कुटुंबकम् का भाव और धैर्य है।।
संस्कार संस्कृति की किसीको भी मिली ऐसी सौगात नहीं।
सूरज को आंख दिखाना सब के बस की बात नहीं।।
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हिंसा में रखते निष्ठा नहीं और ललकार से डरते नहीं।
अकारण किसी से भी तकरार भारत वासी करते नहीं।।
देश प्रेम बलिदान के मिलते कहीं भी ऐसे जज्बात नहीं।
सूरज को आंख दिखाना सब के बस की बात नहीं।।
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अमर शहीदों की धरती वाला अपना देश हिन्दुस्तान है।
अपनी विरासत अपार क्षमता से बना भारत महान है।।
कहलाता है विश्वबंधु वरना होती बिन बादल बरसात नहीं।
सूरज को आंख दिखाना सब के बस की बात नहीं।।
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- एस के कपूर"श्री हंस" , बरेली