ad

कहानी : सावन भादों की झड़ी - हरनारायण कुर्रे डुड़गा


कहानी :

सावन भादों की झड़ी

    गाँव में सावन का महीना शुरू होते ही जैसे धरती पर खुशियों की बरसात हो गई थी। पेड़–पौधे हरे–भरे हो गए, खेतों में नन्हें–नन्हें अंकुर झांकने लगे, और हर तरफ हरियाली की चादर बिछ गई। मिट्टी से उठती भीनी–भीनी खुशबू सबका मन मोह लेती थी।

छोटा मोहन अपनी बहन गुड़िया के साथ आँगन में बैठकर बारिश की बूँदें गिन रहा था। दोनों के चेहरे पर मासूम मुस्कान थी, जैसे बारिश उनके लिए कोई जादू लेकर आई हो। आसमान से टप–टप गिरती बूँदों की आवाज़ कानों में मीठा संगीत सी बजती थी। हर बूँद मानो धरती को चूमती हुई, जीवन का संदेश सुना रही थी।

गुड़िया ने उत्सुकता से कहा, “भैया, देखो! ये नन्हीं–नन्हीं बूँदें कैसी प्यारी लगती हैं, जैसे आसमान से मोती बरस रहे हों।” मोहन मुस्कुराकर बोला, “हाँ बहन, सावन भादों की झड़ी सच में सबसे अच्छी होती है। खेतों को पानी मिलता है, तालाब और नदियाँ भर जाते हैं, और हमें मिट्टी की भीनी खुशबू भी मिलती है।”

बारिश तेज़ हो गई। दोनों भाई–बहन भागकर अमरूद के पेड़ के नीचे खड़े हो गए। पेड़ की पत्तियों से टपकती बूँदें मोहन के गाल पर गिरीं, तो वह खिलखिलाकर हँस पड़ा। तभी माँ ने आँगन से आवाज़ दी, “आ जाओ बच्चों! गरम–गरम पकौड़े तैयार हैं।”

गुड़िया और मोहन दौड़ते हुए रसोई में पहुँचे। गरम पकौड़ों की खुशबू से रसोई महक उठी थी। दोनों ने पकौड़े खाए, और माँ ने उन्हें गरम मसाला चाय भी दी। खिड़की के बाहर बादल अब भी झमाझम बरस रहे थे, जैसे थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे। बिजली की हल्की चमक और बादलों की गड़गड़ाहट भी डरावनी नहीं, बल्कि रोमांच से भरी लग रही थी।

सावन भादों की इस झड़ी में, हर बार की तरह गाँव की नदियाँ और तालाब फिर से लबालब हो गए, खेतों की प्यास बुझ गई, और गाँव की गलियों में बच्चे कागज़ की नावें तैराने लगे। हर ओर हरीतिमा छा गई थी। किसान खुश थे कि इस बार फसल अच्छी होगी, और गाँव की औरतें भी नई–नई हरियाली की पूजा की तैयारी में लग गई थीं।

बारिश सिर्फ पानी नहीं लाती, वह साथ लाती है ताज़गी, नई उम्मीदें, हंसी–खुशी और ढेर सारी मीठी–मीठी कहानियाँ… और उन कहानियों में सबसे प्यारी होती है – सावन भादों की झड़ी की यह कहानी, जो हर दिल को भीगा जाती है, मुस्कुराहट दे जाती है, और यादों में हमेशा के लिए बस जाती है। 

- हरनारायण कुर्रे 

प्रधान पाठक 

शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला डुड़गा

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

2 Comments

  1. कहानी बहुत ही सुंदर ,काल्पनिक अंतर्मन को भीगाने वाली 🌧️🌧️🌧️🌧️🌧️🌨️🌨️🌨️

    ReplyDelete
  2. प्रधान संपादक श्री सोनी सर जी को बहुत बहुत धन्यवाद,🙏🙏🙏

    ReplyDelete
Previous Post Next Post