काव्य :
ग़ज़ल
पूरी बस्ती है ।
दिखी न पस्ती है ।
मेरा हर एक सुख।
तुझसे नत्थी है ।
कल दिन अच्छा था।
हर शब अच्छी है।
मैं वो सुनता हूं ।
तू जो कहती है।
नदिया सागर तक।
अन थक बहती है।
याद तेरी दिल में।
हर पल रहती है।
- आर एस माथुर,इंदौर
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काव्य
ग़ज़ल
पूरी बस्ती है ।
दिखी न पस्ती है ।
मेरा हर एक सुख।
तुझसे नत्थी है ।
कल दिन अच्छा था।
हर शब अच्छी है।
मैं वो सुनता हूं ।
तू जो कहती है।
नदिया सागर तक।
अन थक बहती है।
याद तेरी दिल में।
हर पल रहती है।
- आर एस माथुर,इंदौर