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काव्य : गीत - श्रीमती अंजना सिन्हा "सखी" , रायगढ़


 काव्य : 

गीत...


दरस दिखाओ मेरे कान्हा, छेड़ो  तुम मुरली की तान।

हिया बावरा तुमको चाहे, जागे कितने हैं अरमान।।


तेरी जोगन तुझसे पूछे,तेरा उर है क्यों पाषाण?  

पथ में कंटक और अंधेरा, लगता राह नहीं आसान।।

द्वार निहारूं कब आओगे, सुनो सांवरे दे दो भान

दरस दिखाओ मेरे कान्हा, छेड़ो  अब मुरली की तान।।


भोर मनोरम साँझ सुहागन,  रात अँधेरी प्रीत प्रमाण।

विरही अंजन नैनन बरसे, ज्यों सावन सा हो प्रतिमान।।

तुम हो साधन तुम आराधन, कर जीवन का नव निर्माण। 

दरस दिखाओ मेरे कान्हा, छेड़ो अब मुरली की तान।।


मृग तृष्णा सी ढूंढ़ा करती, चाहूंँ मैं तेरा दीदार।

तृप्त करो मेरे मन को तुम, सहा नहीं जाए व्यभिचार।।

आकर मुझ में मिल जाओ तुम, बन जाओ मेरी पहचान । 

दरस दिखाओ मेरे कान्हा, छेड़ो अब मुरली की तान।।


सुप्त हृदय को करो तरंगित , मिल जाए दिल को आराम।

प्रेम रंग में रंगो मुझे अब, ले लो हाथों को तुम थाम।।

कहां छुपे हो सुनो सांवरे , 'सखी' अंजना को लो जान। 

दरस दिखाओ मेरे कान्हा, छेड़ो अब मुरली की तान।।


श्रीमती अंजना सिन्हा "सखी"

   रायगढ़ - छत्तीसगढ़,भारत।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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