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काव्य : संत गुरु घासीदास - सुन्दर लाल डडसेना"मधुर" ग्राम-बाराडोली


 काव्य : 

संत गुरु घासीदास


छोटे-बड़े का भेद मिटाकर,सबको एक समान बनाए।

संत गुरु घासीदास का संदेश,जो जग को राह दिखाए।

दूसरे का धन पत्थर समझो,परस्त्री को माता मानो।

सत्य की डगर पर चलकर,जीवन को उजियारा जानो।


जुआ-शराब के मोह को छोड़ो,ये दुख का कारण है।

पाप की राह जो चुने,वो केवल संकट का दर्पण है।

संत की वाणी अपनाकर, सत्य की शपथ उठाओ।

प्रेम,करुणा और दया से,जीवन को सुंदर बनाओ।


जहां भेदभाव न हो,ऐसा समाज खड़ा करें।

हर दिल में प्रेम का दीपक जले, ऐसा प्रयास करें।

संत घासीदास की शिक्षा,हर जीवन में खुशहाली लाए।

सत्य,अहिंसा और सेवा का पथ, सच्चा धर्म कहलाए।


- सुन्दर लाल डडसेना"मधुर"

ग्राम-बाराडोली(बालसमुंद),

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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