काव्य :
दर्द ए दिल
हयाते इश्क,
एक रंगीन सपना है
जिसे खुदा ने बुना है
जिसका ताना बाना
उसने ही चुना है
तुम कौन हो ?
तुम्हारी हस्ती क्या है ?
तुम्हारा क्या है अपना?
क्या लाए थे? जो लेजाना
दुखियों को गले लगाना
किसने कहा है, ये
कब मना है?
कब मना है?
सबको अपना बनाना है,
दुनिया में हर कोई अपना
जग चार दिन की ज़िंदगी
सबको गले लगाना है
फिर बाकी सब सपना है
सपना टूटने के बाद में
नहीं कोई पराया है
ना ही कोई अपना है
तो फिक्र क्या करना है
जिंदगी बहुत हसीन है
मिलकर बांट लो, दोस्तों
दुख दर्द, अपना अपना
फिर देखो गम है कितना
- राम वल्लभ गुप्त 'इंदौरी'
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