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बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केंद्र ने मनाया स्थापना दिवस


 

बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केंद्र ने मनाया स्थापना दिवस

बाल साहित्य ऐसा लिखें जो बच्चों की समस्याओं का समाधान करता ह -  डॉ. राघवेन्द्र शर्मा

बच्चों की मन:स्थिति के अनुसार विविध बोलियों में लिखा जाना आवश्यक है बाल साहित्य -  प्रो. अमिताभ पांडे

     भोपाल । बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केंद्र भोपाल द्वारा दुष्यंत संग्रहालय में संस्था के स्थापना दिवस का भव्य वार्षिक आयोजन किया गया, जिसमें शहर से एवं बाहर से पधारे बाल साहित्य प्रेमियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। 

     कार्यक्रम की अध्यक्षता बाल अधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ राघवेंद्र शर्मा ने की। मुख्य अतिथि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के निदेशक प्रो. अमिताभ पांडे, विशेष अतिथि डॉ चंद्रशेखर रावत तथा सारस्वत अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार श्यामा गुप्ता दर्शना एवं केंद्र के निदेशक श्री महेश सक्सेना भी मंचासीन रहे। कार्यक्रम का सफल एवं सरस संचालन शशि बंसल ने किया। 

     मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं अतिथियों के सत्कार पश्चात स्वागत वक्तव्य डॉ विनीता राहुरीकर ने दिया। श्री महेश सक्सेना ने संस्था की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। सांस्कृतिक कार्यक्रम का आरंभ बाल कलाकारों की सुंदर प्रस्तुतियों से हुआ। जिसमें सिंहायना तिवारी, नव्य पथिक, शुभ सहाय, विधाता चौकसे, आराध्य, समीक्षा, तन्मय, अनिकेत, मान्य, करुणा परिवार ने अपनी मनमोहक प्रस्तुतियां दी। 

     कार्यक्रम में डॉ.रेनू शर्मा, डॉ. एस. बी. गुप्ता, श्रीमती मधुलता शर्मा, बी एल नेमा, वृन्दावन मीना, डॉ रेणु श्रीवास्तव, कु. वत्सला चौबे, कु. अभिज्ञा चौकसे, देवेश सिन्हा, ध्रुव आचार्य, पार्थ शर्मा, आराध्य मिश्रा, को सम्मानित किया गया साथ ही पुस्तकों, चूहे चाचा की शादी (मधुलता शर्मा), घर घर की समस्याएं एवं समाधान, (डॉ. एस बी गुप्ता), चंदा तारे लगते प्यारे, (मीना शर्मा) का लोकार्पण किया गया।

     कार्यक्रम के अंत में श्यामा देवी गुप्ता ने अपने उद्बोधन में कहा कि पुस्तकों से मित्रता रखना आवश्यक है। डॉ चंद्रशेखर रावत ने कहा कि बालसाहित्य का लेखन बच्चों के मनोविज्ञान को देखते हुए किया जाना चाहिए। प्रो अमिताभ पांडे ने कहा कि बच्चों की मन:स्थिति के अनुकूल लिखा जाना आवश्यक है। अध्यक्षता कर रहे डॉ. राघवेन्द्र शर्मा ने कहा कि बाल साहित्य ऐसा लिखें जो बच्चों की समस्याओं का समाधान करता हो।  

     कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार गोकुल सोनी, डॉ मोहन तिवारी आनंद, पुरुषोत्तम तिवारी साहित्यार्थी, बिहारी लाल सोनी, राममोहन चौकसे, शकुंतला चौकसे, रेखा भटनागर, डॉ विमल शर्मा, डॉ रामबल्लभ आचार्य, अशोक धमेंनियां, अनीता सक्सेना, सरोज लता सोनी सहित अनेकों शहर से एवं बाहर से पधारे साहित्यकारों ने बड़ी संख्या ने उपस्थिति दी। अंत में जलज गुप्ता ने आभार व्यक्त किया। व्यवस्था में हर्ष सक्सेना का विशेष योगदान रहा। 

महेश नारायण सक्सेना

निदेशक, बाल कल्याण शोध संस्थान, भोपाल

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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