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काव्य : पूर्णिका - सीताराम साहू'निर्मल'छतरपुर


 काव्य : 

मिला ही नहीं,जो मेरे दिलको भाया।

पूर्णिका

मिला ही नहीं,जो मेरे दिलको भाया।

हैं रोशन जहां,दिल अंधेरों को पाया।


तेरी याद में बोलो,कब तक जिऊं मैं,

मेरे साथ चल कर, थका मेरा साया।


तुम्हारी नज़र का इशारा समझकर,

तुम्हारे ही दरवाज़े पर अब मैं आया।


तेरा आसरा पाकर ठहरा था दर पर,

मगर आपने इस तरह क्यों सताया।


तुम्हारे लिए अपना सबकुछ तजूं मैं,

मगर आप भी कीजिए मुझपे छाया।


अगर शर्त निर्मल नहीं प्यार में तब,

कन्हैया मुझे शर्त पर,क्यों लुभाया।


 - सीताराम साहू'निर्मल'छतरपुर मप्र

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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