काव्य :
गीत
मेरी नींदे उड़ी हुई है,
तुमने देखा है ताक कर,
क्यों सितम ढा रहे हो,
चिलमन से झांक कर।
करते रहे नजाकत,
तुम जल विहार में,
अब तुम भी आ जाओ,
हमारी ही नाव में।
हमने वादा निभाया,
चाहत की चाय का,
पूरा रूप दिखा दो,
चाँदनी में चाँद का।
- विनय चौरे ,इटारसी
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