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काव्य : जीवन यापन - डॉ. सत्येंद्र सिंह,पुणे


 काव्य : 

जीवन यापन


कौन कहता है

सूरज उगने पर सुबह होती है

जब जाग आए

तभी सुबह होती है।

जाग, बड़ा प्रश्न  है ज़िंदगी का

सूरज उगने के बाद

दोपहर होती है

शाम होती है, और फिर

सूरज अस्त होने के बाद

सुबह होती  है,

लेकिन 

जिंदगी का सूरज

अस्त हो जाए तो

सुबह कब होगी?

क्या बता सकते हो

नहीं न!

हर जिंदगी का

अपना सूरज है

अपनी सुबह व शाम

और अपनी नींद

अपनी रात है।

अपनी सांसें

अपना श्वाश प्रश्वास

अपनी गति

अपना विश्वास।

बस इस अपनेपन को

समझना है

जीवन यापन करना है।

             -  डॉ. सत्येंद्र सिंह,पुणे

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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