काव्य :
जीवन यापन
कौन कहता है
सूरज उगने पर सुबह होती है
जब जाग आए
तभी सुबह होती है।
जाग, बड़ा प्रश्न है ज़िंदगी का
सूरज उगने के बाद
दोपहर होती है
शाम होती है, और फिर
सूरज अस्त होने के बाद
सुबह होती है,
लेकिन
जिंदगी का सूरज
अस्त हो जाए तो
सुबह कब होगी?
क्या बता सकते हो
नहीं न!
हर जिंदगी का
अपना सूरज है
अपनी सुबह व शाम
और अपनी नींद
अपनी रात है।
अपनी सांसें
अपना श्वाश प्रश्वास
अपनी गति
अपना विश्वास।
बस इस अपनेपन को
समझना है
जीवन यापन करना है।
- डॉ. सत्येंद्र सिंह,पुणे
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