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काव्य : युवा दोहे - डॉ. सत्येंद्र सिंह , पुणे, महाराष्ट्र


 काव्य : 

युवा दोहे


पुत्र कहे पितृ से, तुम राखौ अपनों देश,

 टैक्स टक्का तीस, बदले  मिले क्लेश।


रात दिन एक करि, पाई शिक्षा व व्यापार,

जैसे जैसे आय बढे,  टैक्स बढे आकार।


अरु टैक्स के बदले, मोहिं मिले कछु नांय,

गड्ढे पड़े सड़क में, टायर घिस घिस जांय।


मेरी टैक्स रकम ते, सड़क बने चहुँ ओर,

और मोहिऐ देनौ पड़े टोलटैक्स घनघोर।


जादा कमानौ या देश में बन गयौ अपराध,

बिन किए कुछ लोग चुपड़ी खात अघाय।


और अपनी कमाई पै जो टैक्स देनौ चूकौ ,

अपयश मिले जहां में इल्जाम लगे चोरी कौ। 


और, टैक्स कैसे बढे, नित नित होत विचार,

टैक्सपेयर की सुविधा पै करै न कोइ विचार।


                     -   डॉ. सत्येंद्र  सिंह 

                          पुणे, महाराष्ट्र

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

1 Comments

  1. टैक्स पेयर की व्यथा। सार्थक अभिव्यक्ति

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