प्रभात साहित्य परिषद भोपाल की तरही ग़ज़ल गोष्ठी संपन्न
भोपाल/ राजधानी की चर्चित संस्था प्रभात साहित्य परिषद द्वारा *तरही ग़ज़ल गोष्ठी* का आयोजन हिन्दी भवन के नरेश मेहता कक्ष में श्री महेश प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में एवं जनाब ज़फ़र सहबाई के मुख्य आतिथ्य में तथा श्रीमती खालिदा सुल्तान के विशेष आतिथ्य में एवम डॉ. मो. आज़म के संचालन में किया गया।
इस अवसर पर पिछली काव्य गोष्ठी की सर्वश्रेष्ठ रचना के लिए श्री नीरज दुबे "अमस" को सरस्वती प्रभा सम्मान से अलंकृत किया गया।
तदुपरांत प्रदीप कश्यप ने पढ़ा "जो बन के दोस्त मेरा इस जिगर में रहता है। वो दुश्मनों के मेरे क्यों असर में रहता है। वही डॉ. प्रतिभा द्विवेदी ने पढ़ा " तू करे जो भी मुकम्मल खबर में रहता है। देख, सब कुछ तो उसकी नज़र में रहता है। वही डॉ. विमल शर्मा ने पढ़ा "कभी इसकी कभी उसकी नज़र में रहता है। ये आफताब मुसलसल सफर में रहता है। वही सूर्य प्रकाश अष्ठाना ने पढ़ा " हुई है चाँद सितारों को भी बहुत हैरत, ये आफताब मुसलसल सफर में रहता है। वही खालिदा सुल्तान ने पढ़ा "फलक में शम्स में जिन नो बसर में रहता है। वो एक नूर है जो बहरो बर में रहता है।वहीं रमेश नन्द ने पढ़ा,_ सभी को छोड़ कर जाना है जिस्म का पिंजरा,हमेशा कौन बदन रूपी घर में रहता है।
कार्यक्रम में गोपाल देव नीरद,उमेश तिवारी आरोही,अशोक निर्मल,सरोज लता सोनी,इकबाल मसूद,आबिद काजमी,शोभा जोशी आदि ने भाग लिया।अन्त में रमेश नन्द ने सभी का आभार व्यक्त किया।