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डॉ. कमल किशोर दुबे की चार पुस्तकों का लोकार्पण सम्पन्न


 डॉ. कमल किशोर दुबे की चार पुस्तकों का लोकार्पण सम्पन्न

भोपाल।   डॉ. कमल किशोर दुबे की चार कृतियों का लोकार्पण 28 अप्रैल 2025, सोमवार शाम को दुष्यन्त कुमार स्मारक सभागार में मध्यप्रदेश लेखक संघ के तत्वाधान में किया गया। ज्ञातव्य है कि डॉ. कमल किशोर दुबे रेलवे के सेवानिवृत्त वरिष्ठ जनसम्पर्क अधिकारी एवं लोकप्रिय वरिष्ठ साहित्यकार हैं। इससे पहले उनकी गीत, ग़ज़ल, कहानी, एवं व्यंग्य विधाओं के साथ-साथ श्रीमद्भगवद्गीता के दोहा-चौपाई छन्द में अनुवाद पर आधारित पुस्तक श्रीहरि सरलगीता तथा चाणक्य नीति दोहावली प्रकाशित हो चुकी हैं। अब तक उनकी 10 कृतियों का प्रकाशन हो चुका है। 
             28 अप्रैल को लोकार्पित पुस्तकें :- (1) मन के दर्पण में - (गीत संग्रह), इसमें विभिन्न विषयों पर 56 गीत समाहित हैं। (2 ) मानव पुष्प समान है - (दोहा सप्तशती) इसमें धर्म, अध्यात्म, सामाजिक, राष्ट्रीय चेतना, समकालीन विषयों पर कुल 707 दोहे समाहित हैं। (3 ) शालीनता का अपहरण- ( व्यंग्य संग्रह) - सामाजिक, राजनीतिक, विभिन्न समकालीन विषयों पर 40 व्यंग्य लेख समाहित हैं। (4) असीम अलौकिक आनंदानुभूति - देवभूमि उत्तराखंड चारधाम यात्रा वृतांत, में यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ एवं बद्रीनाथ धाम की यात्रा, विभिन्न धार्मिक स्थलों की ऐतिहासिक, पौराणिक पृष्ठभूमि सहित यात्रा विवरण सहज सरल एवं सुरुचिपूर्ण ढंग से दिया गया है।
             समारोह की अध्यक्षता कर रहे राज्य सूचना आयुक्त डॉ. उमा शंकर पचौरी ने कहा कि साहित्यकार अपने समय का युगद्रष्टा होता है। जो साहित्य की विभिन्न विधाओं के माध्यम से समाज और राष्ट्र के लिए मार्गदर्शक का कार्य करता है। डॉ. कमल किशोर दुबे ने भी साहित्य की विभिन्न विधाओं द्वारा समाज  के प्रत्येक वर्ग को संदेश देने का महती कार्य किया है। विभिन्न विषयों पर उनके गीत, दोहे बहुत ही सकारात्मक संदेश देते हैं, तो व्यंग्य आलेख द्वारा उन्होंने सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, प्रशासनिक एवं कानून व्यवस्था, मानवीय प्रवृत्तियों, पारिवारिक सरोकारों से सम्बंधित अनेक विषयों पर कलम चलायी है। "शालीनता का अपहरण" व्यंग्य द्वारा उन्होंने समाज में विलुप्त हो रहे विनम्रता एवं शिष्टाचार जैसे विषय पर तीखे प्रहार किए हैं। वहीं देवभूमि उत्तराखंड चारधाम यात्रा वृतांत पुस्तक  यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ एवं बद्रीनाथ के बारे में बहुत ही रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है। उन्होंने डॉ. कमल दुबे को भविष्य में अपने रचनाकर्म द्वारा हिन्दी साहित्य को समृद्ध करने एवं सामाजिक उत्थान के लिए कार्य करने हेतु अनुरोध एवं प्रोत्साहित किया।
            समारोह के मुख्य अतिथि मध्यप्रदेश लेखक संघ के संरक्षक डॉ. रामवल्लभ आचार्य ने डॉ. कमल दुबे के रचना कर्म, उनमें प्रयुक्त भाषाशैली, कलापक्ष, विचार एवं भावपक्ष की सराहना करते हुए इन्हें समाज एवं राष्ट्रोपयोगी निरूपित किया। सारस्वत अतिथि एवं तुलसी साहित्य अकादमी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मोहन तिवारी "आनंद" ने डॉ. कमल किशोर दुबे के दोहों, गीतों, व्यंग्य आलेखों को साहित्यिक एवं सामाजिक दृष्टि से उत्कृष्ट बताते हुए उन्हें जनोपयोगी बताया। उन्होंने डॉ. कमल दुबे के गद्य एवं पद्य की सभी विधाओं में सिद्धहस्त होने की भूरि-भूरि प्रशंसा की। 
            समारोह में "मन के दर्पण में"- गीत संग्रह की समीक्षा, वरिष्ठ गीतकार एवं लेखक संघ के उपाध्यक्ष श्री ऋषि शृंगारी द्वारा, "मानव पुष्प समान है"- (दोहा सप्तशती) की समीक्षा विप्रवाणी के संपादक श्री अशोक चन्द्र दुबे द्वारा, "शालीनता का अपहरण" - (व्यंग्य संग्रह ) की समीक्षा वरिष्ठ व्यंग्यकार श्री विवेकरंजन श्रीवास्तव द्वारा एवं "असीम अलौकिक आनंदानुभूति - देवभूमि उत्तराखंड चारधाम यात्रा वृतांत" की समीक्षा वरिष्ठ साहित्यकार श्री विनोद कुमार जैन द्वारा प्रस्तुत की गई। इससे पूर्व मंचासीन अतिथियों एवं डॉ. कमल किशोर दुबे के सहपाठी मित्रों द्वारा उनका शॉल, श्रीफल एवं पुष्पहार से सम्मान किया गया। समारोह के प्रारंभ में मंचस्थ अतिथियों द्वारा माँ वीणापाणि की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया। स्वागत उद्बोधन बाल साहित्य एवं शोध संस्थान के अध्यक्ष श्री महेश सक्सेना जी द्वारा एवं आभार प्रदर्शन श्री सुनील चतुर्वेदी, प्रांतीय कोषाध्यक्ष द्वारा प्रकट किया गया। समारोह में राजधानी की अनेक साहित्यिक संस्थाओं जिनमें मध्यप्रदेश लेखक संघ, तुलसी साहित्य अकादमी, कला मंदिर, अखिल भारतीय साहित्य परिषद, आदि से जुड़े हुए साहित्यकारों के साथ-साथ पत्रकारिता जगत के मित्रगण बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।   उपस्थित अतिथियों में डॉ. नुसरत मेंहदी, निदेशक, उर्दू अकादमी, मध्यप्रदेश एवं अध्यक्ष अखिल भारतीय साहित्य परिषद, भोपाल
तथा डॉ. राजेश श्रीवास्तव,  निदेशक रामायण केन्द्र, भोपाल शामिल थे।
देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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