पहलगाम की आतंकी घटना को लेकर हिंदी कवियों की हुंकार
आगरा। हिंदी साहित्य एवं संस्कृति को समर्पित पत्रिका 'संस्थान संगम' पत्रिका के संयोजन में चेतना सभागार, दयालबाग, आगरा में पहलगाम की आतंकी घटना को लेकर *'हिंदी कवियों की हुंकार'* कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। मुख्य अतिथि कवि सोम ठाकुर रे घटना की तीव्र भर्त्सना करते हुए, कविता के माध्यम से जन मन में हुंकार भरने की बात कही। डॉ.कुसुम चतुर्वेदी ने अपने अध्यक्षीय उद्वोधन में हुंकार भरते हुए कहा *" यह कैसी क़त्लेगारत, यह कैसा ख़ूनखराबा, मातम में बदल डाली, क्यों लहलहाती बगिया।* पत्रिका के संपादक अशोक अश्रु ने कहा *"तेरे लिए हम आग के गोले हैं, रोष से भरे दहकते शोले हैं।* कवि प्रेम रजावत ने अपनी बात यूँ रखी *"जागो जागो भारतवासी, समय नहीं है सोने का। बदला लेना होगा मिलकर, सत्ताइस के खोने का।*
इस अवसर पर राज चौहान और डॉ. शशि गोयल द्वारा डॉ. कुसुम चतुर्वेदी और प्रोफेसर सोम ठाकुर का सारस्वत सम्मान भी किया गया।
समारोह का शुभारंभ हरीश भदोरिया की सरस्वती वंदना से हुआ। स्वागत किया दुर्ग विजय सिंह दीप ने और संचालन किया सुशील सरित ने।
रमा शर्मा,प्रेम राजावत, चंद्रशेखर शर्मा, अशोक अश्रु, अभिनव सिंह, अभिषेक सिंह, दयाल प्यारी नंदा आदि की विशेष उपस्थिति रही। पहलगाम हमले में हताहत हुए भारतीयों को श्रद्धांजलि भी दी गई साथ ही यह अपील भी की गई की धर्म जाति प्रांत और भाषा को भूलकर सभी राष्ट्रवादियों को एक होकर आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए राष्ट्र नायकों का समर्थन करना चाहिए। धन्यवाद ज्ञापित किया श्रीमती गायत्री देवी ने।
प्रेषक
अशोक अश्रु
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