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काव्य : हाई-टेक भिखारी - प्रमोद सामंतराय सरायपाली


 काव्य :

        हाई-टेक भिखारी


एक भिखारी भीख मांग रहा था

साथ ही कुछ गाता जा रहा था


एक सज्जन व्यक्ति ने उसे रोका

ऊपर से नीचे तक देखा और फिर टोका। 


तुम तो एक नौजवान दिखाई देते हो

अच्छे खासे पहलवान दिखाई देते हो


फिर भी तुम क्यों मीख मांग रहे हो

अपने जीवन को अधर में टांग रहे हो


मेरी मानो लोन लेकर कोई धंधा शुरु करो

यदि कोई न मिले तो तुम मुझे गुरु करो


मैं तुम्हें धंधा सिखाऊंगा

अच्छा या मंदा बताऊंगा 


इस तरह से मेरा तुमपर उपकार होगा

यही तुम्हारी उन्नति का आधार होगा


कुछ देर बाद भिखारी बोला

उनकी बातें सुनकर अपना मुँह खोला


श्रीमान जी आज का टाइम कितना हाईटेक हो गया है

भीख मांगना भी अब एक बिजनेस हो गया है 


अच्छे खासे नौकरी से क्या यह कम है ?

नौकरी से तो अच्छी, इसमें इनकम है 


मेरा भिखारी का एक बड़ा नेटवर्क है 

इसे संभालना भी एक बड़ा वर्क है 


आप जाओ और अपना काम करो 

मेहनत करके अपने शरीर का काम तमाम करो


मुझे तो अपना नेटवर्क और बढ़ाना है 

नये पोस्ट के लिए कुछ इंटरव्यू लेने जाना है


इतना सुनकर वह व्यक्ति बोला 

समझने में मुझसे ही मिस्टेक हो गया है 

तुमने बिलकुल ठीक ही कहा

अब तो भिखारी भी हाईटेक हो गया है।


 - प्रमोद सामंतराय 

सरायपाली (महासमुंद)

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

2 Comments

  1. वाह वाह वाह बहुत ही कमाल 👍🏻👏🏻👏🏻👏🏻 हाईटेक कवि महोदय 🙏🏻

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  2. वाह वाह वाह बहुत ही कमाल 👍🏻👏🏻👏🏻👏🏻 हाईटेक कवि महोदय 🙏🏻

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