ad

काव्य : मौन... आदर्श ठाकुर,सागर

काव्य : 
मौन... 

अपमान का अपशब्द का,
अपकार का अवरोध का,
निशब्द विरोध ही "मौन" है।

प्रपंच के  रंगमंच का
षडयंत्र के "सरपंच" का,
निशब्द विरोध ही "मौन " है।
 
मिथ्या के अपयश का भी
और ,
झूठी इस प्रशंसा का
निशब्द विरोध ही" मौन" है।

हर कर्म का, उद्देश्य का
सत्कर्म का ,हर त्याग का,
अप्रचार करना ही "मौन " है।

निंदको ने हर उस मौन व्यक्ति को  चुनकर उसकी निंदा  
कर उसे "चुनिंदा "बना दिया,
और वे "चुनिंदा" व्यक्ति आज उत्कृष्ट पदों पर पदासीन हैं।
' ये परिणाम है," मौन " व्यक्ति के संयम का ,
जो उसे" पल्लवित "करता है'।
मौन होना वास्तव में बलवर्धक औषधि के समान है।
                                                            - आदर्श ठाकुर 
 (डॉ.हरीसिंह गौर वि.वि. सागर ,म.प्र)
देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

Post a Comment

Previous Post Next Post