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आशा मानधन्या की कृति आशा की अनुभूति का विमोचन सम्पन्न

आशा मानधन्या की कृति आशा की अनुभूति का विमोचन सम्पन्न

इंदौर। लेखिका आशा मानधन्या की पुस्तक आशा की अनुभूति के विमोचन का आयोजन वामा साहित्य मंच के तत्वावधान में प्रेस क्लब में सम्पन्न हुआ। यह लेखिका की प्रथम कृति है जो हमारे आस-पास के विषयों मनन करने योग्य विषय पर आधारित 37 आलेखों का संग्रह है। विमोचन के अवसर पर लेखिका आशा जी ने अपने सृजन के विषय में बताया कि घर में धार्मिक पुस्तकों का भंडार था और वहीं से पढ़ने की प्रेरणा मिली। लिखती तो वे बाल्यावस्था से ही रही है लेकिन पहले भारतीय मूल्यों के अनुरूप परिवार को महत्व दिया और घर-परिवार की जिम्मेदारी निभाते के साथ जीवन के उतार-चढ़ाव में जो अनुभूति की, उसका सृजन ही प्रथम पुस्तक के रूप में सभी के बीच है। एक सफल पुरुष के पीछे जैसे स्त्री होती है वैसे ही मेरे पीछे पति‌ कृष्ण कुमार मानधन्या, तीनों बच्चे व पूरा परिवार साथ है तो ही मैं सृजन पथ पर चल पाई हूं। 
विमोचन में अध्यक्षता कर रहे श्री सत्यनारायण सत्तन जी ने बोला कि जीवन शगुन, अपशगुन का मेल है लेकिन उसमें आशाएं कभी नहीं मरती। आशा में लगन से भक्ति का माध्यम जुड़ जाए तो ज्ञान, वैराग्य, तप से अनुभूतियों का जो सृजन होता है। वही आशा की अनुभूति के माध्यम ने लेखिका ने लिखा है। साहित्य समाज का दर्पण है और लेखिका ने समाज से जो अनुभूतियों को गृहण किया वह संकल्प की सिद्धी के साथ लिखा जो अंधेरे से उजाले की ओर ले जाने वाला सुगम सृजन है और गृहणी रहने हुए किया है, वह प्रशंसनीय है।
विमोचन में मुख्य अतिथि के रूप में पधारें श्री गोपाल माहेश्वरी, बाल साहित्यकार ने बोला कि संतान के जन्म के समान प्रथम पुस्तक लेखन की खुशी मिलती है। पुस्तक पढ़कर उन्होंने अनुभव किया कि जो छोटे-छोटे आलेख सरल, सहज विषय को अनुभूति के रूप में लेखिका ने लिखे हैं वह समाज सेवा के समान है। उन्हें पढ़कर केवल बड़े ही नहीं बल्कि बच्चे भी जीवन में ज्ञान प्राप्त कर सकते है। 
वही पुस्तक की चर्चाकार व वामा साहित्य मंच की अध्यक्ष ने स्वागत उद्बबोधन के साथ आशा की अनुभूति को अनुभूत करते हुए बताया कि सभी आलेख विषयों की विविधता के साथ लिखे गए है। जो मानव मन में घर-परिवार, समाज को देखकर जो सुख दुख, चिंता, मनन की अनुभूति का साकार रूप है। जो अनुकरणीय भी है। लेखिका प्रारंभ तो धार्मिक आलेख में गणेश जी और राम जी से करती है लेकिन वे भूख की व्याकुलता, पर्यावरण चिंतन, मानवीय गुणों के ह्वास, परिवार में सामन्जस्य , भारतीय संस्कृति, भाषा की शुद्धता, गौ महिमा, अन्न ही ब्रह्म जैसे सभी सरल किन्तु विचारणीय विषयों पर सहज व सफल लेखन कर पाई है। अध्यक्ष के रूप ज्योति जी ने सभी वामा सखियों को अनुशासन और समयबद्धता की सीख भी दी। 
वही लेखिका के पुत्र शाश्वत मानधन्या ने भी लेखिका के सफल मां के रूप व्यक्तित्व को आलौकित किया। कहा कि उस मां की कलम के बारें में क्या बोलूं जिसने मुझे कलम चलाना सिखाई है। मां मेरी सदैव से प्रेरणा रही है और आगे भी वे मेरी मार्गदर्शिका रहेंगी।  
आयोजन में लेखिका आशा मानधन्या का सम्मान वामा साहित्य मंच की सचिव स्मृति आदित्य सहित उपस्थित वामा सखियों ने किया। हिंदी परिवार, कोठारी और मानधन्या परिवार ने भी लेखिका का सम्मान किया। पुस्तक के संपादक व प्रकाशक मुकेश इंदौरी को भी सम्मानित किया गया। सुमधुर सरस्वती वंदना अर्चना पंडित ने प्रस्तुत की, अतिथियों का स्वागत कृष्ण कुमार मानधन्या, शाश्वत मानधन्या, राजेश कोठारी, उमेश मानधन्या, प्रिया मानधन्या, श्रेया सोडानी, डाॅ. गरिमा संजय दूबे, अवन्ती श्रीवास्तव, कविता अर्गल, रेखा कोठारी, करुणा प्रजापति ने किया। कार्यक्रम का सफल संचालन सपना सी.पी. साहू 'स्वप्निल' ने किया और आभार श्रेया सोडानी ने माना।
देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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