काव्य :
विश्व के आतंकवादियों को..
बांग्लादेश में हिन्दू रोते...
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इंजी. अरुण कुमार जैन
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परम दयालु, परम कृपालु, अल्ला को तुम कहते हो,
उसके बंदे बने हो जो तुम,
क्यों फिर हिंसा करते हो?
हर मंदिर को जमींदोज कर,
उस पर मस्जिद बनवा दी,
नरसंहार किया निर्बल का, कई पीढ़ीयाँ मिटवा दीं.
कैसे परमदयालु के तुम, अनुयायी खुद को कहते!
परपीड़ाअहसास न जिनको,
उनको क्या इंसा कहते?
अपनी बकरी, अपना कुत्ता,
तुमको जो अति प्यारा है,
क्यों हत्या उनकी करते हो,
जो तुमको नहीं प्यारा है?
सारी दुनियाँ में हत्याएं,
कई संगठन करते हैं,,
सारे ये दुष्कर्म नाम ले,
सब अल्लाह के करते हैं.
अल्लाह तुमको प्यार करेगा, कैसे तुमने सोच लिया?
परम दयालु के अनुयायी,
हत्याओं के बने सखा !
या उसको न कहो दयालु,
जिसकी पूजा तुम करते,,
या फिर सबको प्यार करो,
जो इस वसुधा पर रहते.
बांग्लादेश के हिन्दू रोते, क्या उनने अपराध किया?
अपने ही भाई बहिनों पर,
क्यों ये अत्याचार किया?
कश्मीर, केरल, बंगाल में,
हिंसा नित प्रति करते तुम,
पाकिस्तान जिसे कहते हो,
रक्तपात से भरते तुम !
काबुल में अब बहिना, बेटीँ,
जार -जार नित रोतीं हैं!
बेबस व लाचार बनी वे,
बाँदी से भी बदतर हैं.
सारा विश्व धिक्कार रहा,
कहीं न यश सुख पाते हो,,
शिक्षा, तकनिकी, विज्ञान में,
सबसे पीछे रह जाते हो.
आदिम युग अब नहीं यहाँ,
इक्कीस वीं सदी कहलाती,,
ए.आई. जैसी तकनीक संग,
दुनियाँ नित आगे बढ़ पाती.
संभलो, छोडो दहशत गर्दी,
सभी प्रभु के बंदे हैं,,
सबसे प्यार करो मिलकर सब, नेह, प्रेम ही रास्ते हैं.
किसी के आँसू,पीड़ा,बेबसी,
जो तुम अब भी बहाओगे,,
क्रूर काल की मार है घातक,
मिट्टी में मिल जाओगे.
गाजी,गोरी, बाबर,गजनवी,
किसने इज्जत पायी है ?
जो ऋषभदेव से वर्धमान,
श्री राम, कृष्ण ने पायी है.
प्रेम, नेह,अनुराग व ममता,
हर जीव जंतु को प्यारी है,,
सहअस्तित्व सभी को प्यारा,
कीर्ति उनको मिल पायी है.
इसीलिए ये हिंसा छोडो,
मार काट से लो तौबा,,
प्यार करो हर प्राणिमात्र को,
तभी मिलेगी शांति सुधा.
कतरा कतरा कट जायेगा,
रोम -रोम पीड़ा होगी,,
जैसी करनी, वैसी भरनी, हर ज़ालिम की दशा होगी.
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अमृता हॉस्पिटल, फ़रीदाबाद, हरियाणा.
मो. 7999469175
प्रेरक संकलन, अभिनन्दन 💐
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