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साहित्यकार डॉक्टर सूर्यबाला को व्यास सम्मान प्रदान किया गया


साहित्यकार डॉक्टर सूर्यबाला को व्यास सम्मान प्रदान किया गया

मुंबई । मुंबई प्रेस क्लब के सभागार में विख्यात हिंदी साहित्यकार डॉक्टर सूर्यबाला को व्यास सम्मान प्रदान किया गया। कार्यक्रम का आयोजन संयुक्त रूप से भारतीय साहित्य, कला व सांस्कृतिक प्रतिष्ठान- शब्दसृष्टि, मुंबई तथा के.के. बिरला फाउंडेशन, नई दिल्ली ने संयुक्त रूप से किया। प्रारंभ में अंतरराष्ट्रीय हिंदी, मराठी, अंग्रेजी त्रिभाषी  पत्रिका शब्दसृष्टि द्वारा प्रकाशित डॉ.सूर्यबाला गौरव विशेषांक का लोकार्पण किया गया तथा के. के. बिड़ला फाउंडेशन. नई दिल्ली के निदेशक तथा पुरस्कार चयन समिति के सदस्य सचिव डॉ. सुरेश ऋतुपर्ण द्वारा डॉ. सूर्यबाला को व्यास सम्मान 2024 से अलंकृत किया गया। उल्लेखनीय है कि यह 34 वां व्यास सम्मान है, जो डॉ. सूर्यबाला को उनके सन 2018 में प्रकाशित बहुचर्चित उपन्यास "कौन देस को वासी- वेणु की डायरी"पर प्रदान किया गया है । इस अवसर पर डॉ. विजया का चुनिंदा रचना संसार "विजयिता" , डॉ. दामोदर खड़से के संपादकत्व में प्रकाशित "सूर्यबाला :कहानी समग्र" (भाग 1 से 3) तथा डॉ. पूनम पिसे लिखित शोध ग्रंथ "सूर्यबाला: संवेदनाओं का ज्योति पुंज" पुस्तकों का भी लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध साहित्यकार, अनुवादक एवं राजभाषा विशेषज्ञ डॉ. दामोदर खड़से ने की। कार्यक्रम का संचालन सुप्रसिद्ध कवि डॉ.हूबनाथ पांडेय ने किया । इस कार्यक्रम में भारतीय प्रशासनिक सेवा की वरिष्ठ अधिकारी, महाराष्ट्र शासन, शिक्षा विभाग की सचिव डॉ.आर . विमला, प्राचार्य डॉ. मुकुंद आंधलकर , प्रो. डॉ. मनोहर, सुश्री आशा रानी, डॉ. श्याम सुंदर पांडे,  नवनीत के संपादक, विख्यात पत्रकार विश्वनाथ सचदेव, डॉ. उषा मिश्रा, पत्रकार विमल मिश्र, हरि मृदुल , हिंदुस्तानी प्रचार सभा की डॉ. रीटा कुमार , सुप्रसिद्ध समीक्षक गंगाशरण सिंह, पुणे के साहित्यकार एवं अनुवादक द्वय सेवक नैयर एवं डॉ. विपिन पवार के अलावा मुंबई के अनेक साहित्यकार एवं पत्रकार उपस्थित थे। डॉ. सूर्यबाला ने चार लाख रुपए के इस सम्मान के प्रति बिरला फाउंडेशन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि  लेखक पुरस्कार के लिए नहीं लिखता, यह मेरा नहीं अपितु मेरी कृति का सम्मान है। लेखक कालजयी रचनाएं नहीं लिखते बल्कि पाठक उसकी रचना को कालजयी बनाते हैं। मैं एक घरेलू महिला हूं एवं मैंने घर परिवार संभाल कर 50 से अधिक कृतियों की रचना की है। उल्लेखनीय है कि सन 1976 में सूर्यबाला जी का प्रथम उपन्यास मेरे संधि पत्र धर्मयुग में धारावाहिक रूप से प्रकाशित हुआ था।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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