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मंदसौर प्रशासन की बड़ी चूक से 270 करोड़ से बनी मेडिकल कालेज बिल्डिंग अनुमति अटकी


 मंदसौर प्रशासन की बड़ी चूक से  270 करोड़ से बनी मेडिकल कालेज  बिल्डिंग अनुमति अटकी

 मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने  अक्टूबर 2024 में प्रधानमंत्री श्री मोदी की वर्चुअल उपस्थिति में मेडिकल कालेज का शुभारंभ भी कर दिया, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बिना निर्माण अनुमति के ही कर दिया था शिलान्यास - TNCP ने निरस्त की अनुमति

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मंदसौर । लंबे संघर्ष के बाद मिली चिकित्सा महाविद्यालय की सौगात अब प्रशासनिक अनुमति के लिये संघर्षरत है । गत दिनों नगर तथा ग्राम निवेश विभाग कार्यालय नीमच ने अब इस शासकीय मेडिकल कॉलेज के निर्माण अनुमति को ही निरस्त कर दिया है । इस निरस्तीकरण आदेश के साथ चिंता और रोष व्याप्त होरहा है पहले 50 सीटों के लिए बाद में 100 सीटों के आवंटन के साथ ही चिकित्सा शिक्षा सत्र आरंभ भी होचुका है । 

मंदसौर के साथ नीमच और सिवनी तीन चिकित्सा महाविद्यालयों का एक साथ प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने 29 अक्टूबर को किया ।

अब मंदसौर के सुंदरलाल पटवा शासकीय मेडिकल कॉलेज की बिल्डिंग को लेकर कई गंभीर सवाल सामने खड़े गए हैं. लगभग 270 करोड़ से बने जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों का संयुक्त अंश शामिल है । 

इस मेडिकल कालेज की बिल्डिंग बनाने के लिए नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय नीमच से  आवश्यक अनुमति नहीं ली गई थी और लोक निर्माण विभाग ( PIU ) एजेंसी के अधिकारियों ने मेडिकल कालेज की नक़्शे अनुसार निर्माण कर बिल्डिंग बना कर तैयार कर दी, जिसके बाद ऑफलाइन कॉलेज बनाने की अनुमति मांगी गई जिसको नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय से ख़ारिज कर दी गई , अब मामला उच्चाधिकारियों के समक्ष रखा  गया है , 

नियमानुसार किसी भी निर्माण कार्य के पहले नक्शा पास कराने और निर्माण अनुमति होना चाहिए , चाहे निर्माण कार्य सरकारी हो या प्रायवेट, लेकिन मंदसौर के सम्बंधित  अधिकारिओं ने बिल्डिंग निर्माण होने के बाद ऑफलाइन अनुमति मांगी जिसको उपसंचालक नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय द्वारा निरस्त कर उच्च अधिकारिओं को पत्राचार किया है , जिसमे इस बात का उल्लेख है की मेडिकल कालेज की तमाम बिल्डिंग बगैर अनुमति के तैयार हो चुकी है व शुभारम्भ भी हो चूका है, 

21 मई 2024 के उप संचालक नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय नीमच विनीता दर्शमयंकर के अनुसार मेडिकल कॉलेज निर्माण के लिये PRDC उज्जैन विभाग की अनुमति भी नहीं ली गई और बिल्डिंग निर्माण कर लिया । 

इस पुरे मामले में बड़ी बात तो यह है की मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की वर्चुअल मौजूदगी में इस मेडिकल कालेज का शुभारम्भ कर चुके है साथ ही कईं छात्र छात्राओं ने यहां मेडिकल की पढाई शुरू कर दी है , बिना अनुमति के बने मेडिकल कालेज में क्या अब मेडिकल के विद्यार्थयों के लिए क्या कोई भविष्य में चुनौती तो नहीं हो जाएगी , क्या मेडिकल कॉलेज से  जोड़े निर्माणाधीन अस्पताल की बन रही बिल्डिंग की अनुमतियाँ पूर्ण है, इस मामले में बड़ा सवाल ये भी है की अधिकारिओं ने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से कालेज का शिलान्यास से लेकर शुभारम्भ तक करवा लिए और प्राथमिक तैयारिओं में एक निर्माण अनुमति को ही नज़रअंदाज कर दिया ।

इस मामले में मेडिकल कॉलेज निर्माण एजेंसी अधिकारी बबीता सोनेकर, ( PIU) लोक निर्माण विभाग अधिकारी मन्दसौर ने इस मामले में बताया कि इसमें हमें TNCP के अप्लाय किया था तो उन्होंने आपत्ति ली थी तो उन्होंने हम कहा था   की मध्यप्रदेश नगर  ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा के अंतर्गत शासकीय छूट के लिए हमने ऑफलाइन आवेदन किया हुआ है , इस पर कार्यवाही प्रचलन में है ,इसमें अधिनियम के तहत शासकीय आवास के लिए छूट प्राप्त हो सकती है , और नगरीय प्रशासन से हमें अनुमति मिल सकती है , बिना अनुमति के TNCP के लिए प्लान अप्रूव करके हमको लगाना होता है , क्योकि प्लान चिकित्सा शिक्षा विभाग से अप्रूव होकर हमको मिला और माननीय मुख्यमंत्रीजी  द्वारा भूमि पूजन किया गया था और उसके बाद हमारी एजेंसी भी फिक्स हो चुकी थी और पेरेलली इसको अप्लाय किया हुआ था और  काम हमने प्रारम्भ कर लिया था , अब नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा हमको इसकी परमिशन प्राप्ति हो जाएगी , नोटिस उस समय मिला था उन्ही ने हमें कहा था  की आवेदन ऑफलाइन कर दीजिये ,उम्मीद है एक महीने में इसकी अनुमति प्राप्त हो जाएगी , हालांकि ये तय है कि शासन के भवन के निर्माण की अनुमति शासन को ही देना है और जैसा कि निर्माण एजेंसी अधिकारी ने बताया ऑफलाइन प्रक्रिया अंतर्गत शीघ्र प्रमाणित अनुमति मिल जाएगी , पर इतने बड़े और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स में प्राथमिक आवश्यक अनुमति ही नहीं ली गई और दो मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री तक इसके शिलान्यास और शुभारंभ में जुड़े यह प्रशासन की चूक और गलती को प्रदर्शित करता है । प्रश्न यह भी है कि निजी क्षेत्रों में बिना अनुमति निर्माण को शासन - प्रशासन  नगर निकायों पुलिस माध्यम से जमीदोज करता है फिर यह तो मेडिकल कॉलेज जैसी बड़ी बिल्डिंग बन गई है ?

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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