प्रत्येक व्यक्ति को "स्व" का बोध होना चाहिए - डॉ.सुजाता मिश्र
सागर । इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती द्वारा शुक्रवार को नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला में ‘आत्मबोध से विश्वबोध’ विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया।
डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में कार्यरत अतिथि विद्वान डॉ. सुजाता मिश्र ने बीज वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि जिस व्यक्ति को स्व बोध नहीं होगा वह भटकेगा, दिग्भ्रमित होगा ...एक व्यक्ति के रूप में भटकेगा तो यह नुकसान उसको और उसके परिवार को होगा किंतु जब यह भटकाव एक नागरिक के रूप में होता है तो नुकसान का दायरा भी व्यापक हो जाता है!उन्होंने प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ को भारतीय सनातन संस्कृति में व्याप्त समरसता और समानता का प्रतीक मानते हुए कहा कि समय है कि हम यूरोप से आयातित ,यूरो क्रिश्चियन मानसिकता से उपजे ऐतिहासिक,सामाजिक और साहित्यिक विमर्शों को परे कर भारतीय समाज को,भारतीय इतिहास को,भारतीय साहित्य को भारतीयता के दृष्टिकोण से समझें!
वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय, सूरत के प्राध्यापक डॉ. भरत ठाकोर ने मुख्य वक्ता के नाते कहा कि आत्मबोध से विश्वबोध की यात्रा, भारतीय दर्शन की विशेषता है। व्यष्टि, समष्टि, सृष्टि और परमेष्टि का विचार करके संपूर्ण विश्व का साक्षात्कार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समस्याओं के आलोक में ‘स्व का जागरण’ आवश्यक है। ‘स्व’ से शुरू होकर ‘सर्व’ की ओर जाना, यह भारतीय आदर्श है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. विवेक शर्मा ने कहा कि ‘वसुधैव कुटुंबकम’ में आत्मबोध से विश्वबोध का दर्शन समाहित है।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री मनोज कुमार ने कहा कि सबसे पहले स्वयं को समझने की आवश्यकता है। अपने मन का विस्तार ही उदारता है, प्रेम है, यह सबको जोड़ता है। विस्तार न करें, तो संकुचन और सांप्रदायिक सोच को बढ़ावा मिलता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. विनोद बब्बर ने कहा कि व्यक्ति से लेकर पूरे विश्व तक हमारी चेतना का विस्तार होना चाहिए।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य एवं प्रो. नीलम राठी की गरिमामयी उपस्थिति रही।
कार्यक्रम का संचालन इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती के संयुक्त महामंत्री संजीव सिन्हा ने किया एवं मंत्री सुनीता बुग्गा ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती के उपाध्यक्ष मनोज कुमार, संयुक्त महामंत्री बृजेश गर्ग, कोषाध्यक्ष अक्षय अग्रवाल, मंत्री राकेश कुमार, डॉ.हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में प्रोड्यूसर माधव चंद्रा, नृत्य गोपाल, रजनी मान, जगदीश सिंह, नीलम भागी, जितेन्द्र कालरा, हरीश अरोड़ा, आचार्य अनमोल सहित बड़ी संख्या में लेखक, शोधार्थी एवं छात्र उपस्थित रहे।