कैलाश मेश्राम की काव्य कृति “मन की कूक” दुष्यंत संग्रहालय में लोकार्पित
भोपाल । प्रसिद्ध गीतकार ऋषि श्रृंगारी की अध्यक्षता, डॉक्टर मोहन तिवारी आनंद के मुख्य आतिथ्य, श्री गोकुल सोनी के सारस्वत आतिथ्य और सुरेश पटवा के विशिष्ट आतिथ्य में कैलाश मेश्राम की काव्य कृति “मन की कूक” लोकार्पित हुई। श्रीमती सुनीता शर्मा द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना उपरांत संग्रहालय की सचिव श्रीमती करुणा राजुरकर ने उपस्थित अतिथियों और साहित्यकारों का स्वागत किया।
ऋषि श्रृंगारी ने कहा कि कैलाश मेश्राम की रचनाओं में संवेदना प्रस्फुटित होती है। कृति का भाव और भावना काव्यमय है। उनका कंठ भी गीत के अनुकूल है। उन्हें छंद का ध्यान रखना चाहिए। इनका भविष्य उज्ज्वल है।
डॉ मोहन तिवारी आनंद ने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि कविताएँ सुनी नहीं जातीं, लेकिन कवि ऐसी कविताएँ लिखें जिन्हें श्रोता रचनाओं को हाथों हाथ उठा लें।
श्री गोकुल सोनी ने कृति की समीक्षात्मक विवेचना प्रस्तुत करते हुए कहा कि मेश्राम जी की कविताओं में विविधता है एवं भावों की सूक्ष्मता एवं गहनता है, मुझे विश्वास है कि कवि की पहली कृति उत्तम निधि सिद्ध होगी।
सुरेश पटवा ने कविता को मनुष्य की सबसे महत्वपूर्ण रचना बताया। जिसका सृजन वह मन, बुद्धि और हृदय के संयोग से करता है। हरेक मनुष्य कवि होता है। अभिव्यक्ति और संप्रेषण की प्रतिभा विलक्षण होती है। सृजन के समय कवि पूर्णता को प्राप्त होता है।
कवि कैलाश मेश्राम ने रचना कर्म के अनुभव सुनाकर जब कुछ चुनिंदा कविताओं का पाठ किया तो श्रोता आनंद विभोर हो झूम उठे। तत्पश्चात श्रीमती राधा रानी चौहान द्वारा लिखित कृति समीक्षा का वाचन डॉक्टर प्रभात पांडे द्वारा किया गया। कृति लोकार्पण के बाद काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें डॉ अली अब्बास उम्मीद, बलराम गुमाश्ता, सुरेश पबरा, विपिन बिहारी बाजपेयी, डॉ राजेश तिवारी, शिव कुमार दीवान, बिहारी लाल सोनी, सुनीता शर्मा, व्ही के श्रीवास्तव, राम मोहन चौकसे, शिवांश सरल, लक्ष्मी कांत जावने, सतीश चंद श्रीवास्तव, उमेश तिवारी, आशीष शुक्ला, अब्बास सैयद, नौवाँन ख़ान, जया केतकी शर्मा, रमेश भूमरकर और कमलेश सक्सेना ने प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ किया।
कार्यक्रम का सरस संचालन श्रीमती जया केतकी द्वारा और आभार प्रदर्शन श्रीमती मंजू पटवा द्वारा किया गया।
गोकुल सोनी