काव्य :
समान सभी को न्याय मिले
समान शिक्षा निशुल्क हो
स्वास्थ्य से न किसी के खिलवाड़ हो
नारी को न समझे गुलाम
दहेज का न कलंक हो
न कोई भुखा सोये
सिर पर सभी के छत हो
मुफ्त न बांटे किसी को
सभी के पास काम हो
दुरूपयोग न हो वस्तु का
सबको समान अवसर मिले
अन्याय न कमजोर पर हो
समान सभी को न्याय मिले ।
चन्दा डांगी रेकी ग्रेंडमास्टर
मंदसौर मध्यप्रदेश
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काव्य
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