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काव्य : ग़ज़ल - हमीद कानपुरी


 काव्य : 

ग़ज़ल


सोच हरदम  रही  बुरी  उसकी।

ढापता  मैं   रहा  कमी  उसकी।


कोसता जो  रहा  सदा  हमको,

चाहते  हम  रहे  खुशी  उसकी।


उसको परवाह कुछनहीं लेकिन,

दिलकोभाती सदा हँसी उसकी।


इश्क़ जब से  हुआ मुझे  उससे,

एक तीरथ सी है  गली  उसकी।


उसका अंदाज़ तल्ख़ तीखा पर,

बात फिर भी लगी सही उसकी।


 - हमीद कानपुरी

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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