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काव्य : बसंत,,,,तेरी ही छवि बरसों देखी -डॉ ब्रजभूषण मिश्र भोपाल


 काव्य : 

बसंत,,,,तेरी ही छवि बरसों देखी


है मेरे मन की, हरियाली तू

है ,लदी फूल की डाली तू

है ,छम छम बजती पायल तू

पल पल करती ,मन घायल तू

पीली फूली सरसों देखी

तेरी ही छवि बरसों देखी


आम की बौर सनी, बयार है

 खुशबू है तू, मेरा प्यार है

रंग फूलों में हैं वो,तुझसे हैं

कोयल की कू कू, तुझ से है

पीली फूली सरसों देखी

तेरी ही छवि बरसों देखी


तू मादक है,मोहित करती

मधु मे मिठास, तू ही भरती 

तू ऋतुराज है ,तू बसन्त है

तुझसे ,न खुशियों का अंत है

पीली फूली सरसों देखी

तेरी ही छवि बरसों देखी


तू मौसम की अंगड़ाई है

तुझसे मिटती, तन्हाई है

तू जीवन नाड़ी है, धड़कन है

बगिया फूलों की, उपवन है

पीली फूली सरसों देखी

*ब्रज* तेरी ही छवि बरसों देखी


- डॉ ब्रजभूषण मिश्र

 भोपाल


देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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