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काव्य : स्वार्थ से भरे इंसान - रीना वर्मा अधिवक्ता,हजारीबाग


 काव्य : 

स्वार्थ से भरे इंसान


ये दुनिया स्वार्थ से भरे इंसान

भीड़ मे मिलते अजनबी इंसान

मुस्कुराते बढ़ाते जान पहचान

छुपाये दिल मे रहते कुछ अरमान,


मुस्कुराहट के पीछे क्या समझे

स्वार्थ पूर्ति के कुंजी के  वो रास्ते

मिलते है रोज लोग जिसके वास्ते

स्वार्थ का जहर फैलता है धीरे से,


जब  मन का हो खुश रहे इंसान

झूठी हंसी दिखाए नकली मुस्कान

लाभ हानि मे लगा  इंसान जीवन

स्वार्थ मतलब से भरा सबका मन,


भीड़ मे वो गले मिलते सभी ऐसे

खून के रिश्ते से बढ़कर हो जैसे

समझ नहीं पाता भोला सा मन

जहर स्वार्थ से भरा वो काला मन,


जन्म निस्वार्थ बड़ा होकर स्वार्थ

हर एक हंसी के पीछे है छुपा अर्थ

कहते है ईश्वर सबको पहचानते है

किया गलत उसी पल लौटाते है,


जो सबको  हंसाता साथ देता है

हर किसी के दुख सुख मे होता है

हरदम सबके लिए दौड़ पड़ता है

वही अकेले रो रो कर मर जाता है


उम्मीद अच्छे लोग करते है सदा

झूठे लोग हासिल करने की कला

अच्छे लोगों की भीड़ कम होती है

बुरे लोगो की आंख न नम होती है


अच्छे लोग तलाश से मिलते है

बुरे लोग मुखौटा लगाए जीते है

स्वार्थी इंसान से बचाये भगवान

पता न चलता कौन कैसा इंसान?


- रीना वर्मा अधिवक्ता,हजारीबाग

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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