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जागरूकता - प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़)


 जागरूकता

हमारे जीवन में एक बात बहुत खास है जिसके पालन से हमारे पास सदा सफलता एवं आनंद रहेंगे ।वह छोटी सी बात जागरूकता की है । यह बात हमको  मामूली सी लगती है पर इसका अभ्यास हो जाए तो जीवन की गाड़ी सदा प्रसन्नता और सफलता की पटरी पर ही चलती है।  वह स्वतः तब कोई अनुचित काम कभी होगा ही नहीं और जागरूकता का तराजू  झट कह देगा यह सही ही नहीं है । इस संसार में सबसे मतिमान आदमी है। वह मति ही मानसिक शक्ति दे सकती है। इसका मूल बीज सजगता, जागरूकता है । अत: सजगता ही मुख्य शक्तिदाता है पर विडंबना है कोई इस ओर कभी सही से

ध्यान ही नहीं देते हैं  । वह और-और सांसारिक झंझटों में

ही सभी उलझे रहते हैं । जन्म से लेकर मृत्यु तक ,कर्मों के अनुसार हमने जितना आयुष्य लिखवा लिया,वो सारा समय हमारे पास है।हमारी और - और पाने की लोभ की  प्यास न हो ,सन्तुष्टि हो तो समय का सही से सदुपयोग कर विवेक से सम्यकरत्नत्रयी की आराधना करके कर्मों से हल्के बन सकते हैं,जिससे हमें अंतिम समय ले जाने के लिए भरपूर सम्पदा सम्यक्त्व की हमारे पास हो। वर्तमान समय हमारे पास भौतिक चकाचोंध में अपने समय और स्वास्थ्य को जाया करके अंत में साथ ले जाने के लिए कुछ नहीं बचता है । हम विवेक से देखादेखी ,एक दूसरे से आगे बढ़ने के जलन से ऊपर उठकर अपनी आत्मा को शुद्ध भावों से सन्तुष्टि को अपनाकर धर्माराधना से अपने को हर समय भावित करते रहे ।वह बाद में की आदत को छोड़ें, बाद में कभी नहीं आता, अब करने की वर्तमान पल में ही आदत डालें,क्योंकि हमारे पास इस भव में बसेरा करने का कितना समय है यह हम छद्मस्थता के कारण नहीं जान सकते है ,कितना वक्त और है हमारा तो हम हर पल जागरूक रहे,ये सोचकर कि शायद यही हमारा आखिरी पल हो,हमको यह हर समय लगे । वह अपने कोई भी अशुभ प्रवृति से हुए की हम गलत कार्य की मन,वचन और काया से शुद्ध भावों से आलोचना लेकर शुद्ध होते रहे,ताकि हम विराधक अवस्था मे काल न कर जाएं और हमारी आत्मा ज्यादा भारी न बनें। हम हर काम को सतर्कता या सावधानी के तराजू पर यदि तोल लें कि यह सही है कि नहीं है तो हमारे से कभी भूल होगी ही नहीं। वह इसका अभ्यास हो जाए तो यह सफल सुंदर जीवन का खास मंत्र हो जाएगा । हमारी जागरूकता पूर्ण भावशुद्धि हमारी भवशुद्धि में सहायक होगी।यही हमारे लिए काम्य है ।

प्रदीप छाजेड़

( बोरावड़)

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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