ad

परीक्षा प्राप्तांक जीवन की सफलता का निर्धारण नहीं करता: डॉ मनोज तिवारी,वाराणसी


बोर्ड परीक्षा रिजल्ट आने के संंदर्भ में विशेष

परीक्षा प्राप्तांक जीवन की सफलता का निर्धारण नहीं करता: डॉ मनोज तिवारी

डॉ मनोज कुमार तिवारी 
वरिष्ठ परामर्शदाता 
एआरटी सेंटर, एस एस हॉस्पिटल, आईएमएस, बीएचयू, वाराणसी

हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट के परीक्षा परिणामों की घोषणा होने वाली है। हर वर्ष बोर्ड के परीक्षा परिणाम आने के बाद अनेक विद्यार्थी कम अंक आने पर आत्मघाती व्यवहार करते हैं कुछ विद्यार्थी अपना जीवन खो देते हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार सन् 2021 में 864 छात्रों ने परीक्षा में विफलता के कारण मौत को गले लगा लिया था। परीक्षा में कम अंक मिलने पर कुछ बच्चों का लगता है कि कम अंकों के कारण उनका भविष्य बर्बाद हो गया।

किसी भी परीक्षा का परिणाम विद्यार्थी के जीवन से अधिक महत्वपूर्ण नहीं हो सकता है। परीक्षा का परिणाम अपेक्षित न होने का यह अभिप्राय नहीं है कि व्यक्ति अपने जीवन में असफल हो गया, अनेक बार यह देखा गया है कि परीक्षा में अनपेक्षित परिणाम लाने वाले व्यक्ति भी अपने जीवन में कठिन परिश्रम एवं धैर्य के माध्यम से उच्च सफलता अर्जित करते हैं इसलिए हर परिस्थिति में विद्यार्थियों को अपने धैर्य को बनाए रखना चाहिए। कुछ माता-पिता अपने बच्चों की क्षमता व अभिरुचि को सही ढंग से जाने बिना ही बच्चे से ज्यादा अपेक्षाएं रखते हैं तथा परीक्षा के समय व उसके बाद भी बच्चों के मनोदशा को जानने का प्रयास नहीं करते जिसके कारण कुछ बच्चे अप्रिय कदम उठाने के लिए मजबूर होते हैं।

*विद्यार्थियों के लिए सुझाव:-*
# अपेक्षित परिणाम न होने पर भी धैर्य बनाए रखें 
# मन पर नकारात्मक विचारों को हावी न होने दें 
# अपने परीक्षा परिणाम की अनावश्यक रूप दूसरे से तुलना न करें 
# परीक्षा परिणाम को लेकर प्रतिस्पर्धा न करें 
# परीक्षा परिणाम को लेकर व्देष की भावना न रखें 
# मन में नकारात्मक विचार आने पर भाई-बहन, मित्रों, माता-पिता एवं शिक्षक से बातचीत करें
# अपने अच्छे परीक्षा परिणाम को याद करें 
# परीक्षा के प्राप्तांक को ही जीवन की सफलता का आधार न माने
# मन में धनात्मक विचार रखें 
# जीवन के लिए तार्किक ढंग से लक्ष्य निर्धारित करें 
*अभिभावकों के लिए सुझाव:-*
# घर में परीक्षा परिणाम को लेकर नकारात्मक वातावरण न बनाएं 
# कम अंक के लिए बच्चे को ताने न दें
# कम अंक के लिए बच्चे को दंडित न करें
# बच्चे में धैर्य व आत्मविश्वास जगाएं 
# अपने बच्चे की अतार्किक ढंग से दूसरे बच्चों से तुलना न करें 
# बच्चे को समझाएं की यह रिजल्ट केवल इस परीक्षा का परिणाम है न कि उसके जीवन का।
# रिजल्ट आने के बाद यदि बच्चे के व्यवहार में बड़ा परिवर्तन दिखे तो  उससे सहज ढ़ंग से बातचीत करके उसके मन की स्थिति को जानने का प्रयास करें।
# यदि बच्चे के मन में बार-बार नकारात्मक विचार या आत्महत्या के विचार आए तो उसे अकेला न छोड़े और प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक से सलाह लें।

 *शिक्षकों के लिए सुझाव:-*
# परीक्षा के प्राप्तांको के बजाय विद्यार्थी के ज्ञान एवं समझ को महत्व दें।
# बच्चों में अंकों के लिए प्रतिस्पर्धा का वातावरण विकसित न होने दें।
# कम अंकों के लिए कक्षा में विद्यार्थियों को शर्मिंदा या अपमानित न करें
# यदि विद्यार्थियों के मन में परीक्षा परिणाम को लेकर नकारात्मक विचार आतें हो तो उसे दूर करने का प्रयास करें।
# विद्यार्थियों में सकारात्मक विचार एवं आत्मविश्वास बनाए रखने का प्रयास करें

*मीडिया के लिए सुझाव:-*
रिजल्ट के प्रति समाज में सकारात्मक वातावरण विकसित करने का प्रयास करें ताकि यदि किसी विद्यार्थी का परिणाम अपेक्षित न आए तो भी वह धैर्य पूर्वक आगे के शिक्षा के लिए तैयार हो सके। ऐसे व्यक्तियों का साक्षात्कार प्रकाशित करना चाहिए जिनका बोर्ड का रिजल्ट औसत होने के बाद भी आज वे जीवन में उच्च सफलता अर्जित किये हैं।

विद्यार्थियों को मानसिक दबाव से बाहर निकालने में अभिभावकों, भाई-बहन, मित्र मण्डली, पडोसियों, रिश्तेदारों व शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, जो उन्हें सहानुभूतिपूर्वक समझाएं कि किसी भी परीक्षा के परिणाम से उनके जीवन का निर्धारण नहीं होता है। व्यक्ति के जीवन ऐसा है, जिसे दोबारा नहीं पाया जा सकता है। विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना चाहिए कि वे सकारात्मक सोच से मेहनत करके सफलता की बुलंदियों को छू सकते हैं। विद्यार्थियों को परीक्षा परिणाम के नकारात्मक प्रभाव से बचने की जिम्मेदारी समाज के प्रत्येक वर्ग की इसलिए इसके लिए समेकित रूप से सभी को प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि किसी भी विद्यार्थी को अपने बहुमूल्य जीवन से हाथ न धोना पड़े।
देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

Post a Comment

Previous Post Next Post