अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच का एक अभिनव आयोजन, कहानी संवाद ‘दो कहानी- दो समीक्षक’ सम्पन्न
भोपाल । “लेखन का एक विशेष उद्देश्य पाठक और लेखक के बीच एक सेतु का निर्माण करना है ताकि कहानी को स्थायित्व मिल सके और यह तभी संभव है जब खुद को पिघला कर कहानी के किरदारों से रिश्ता जोड़ा जाय।”
- संतोष श्रीवास्तव
अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच का एक अभिनव आयोजन, कहानी संवाद ‘दो कहानी- दो समीक्षक’ 10 अप्रैल 2025, गुरुवार को शाम गूगल मीट पर आयोजित किया गया।
इस अवसर अध्यक्षता कर रही वरिष्ठ कहानीकार और अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच की संस्थापक अध्यक्ष संतोष श्रीवास्तव ने कहा कि आज के समय में लेखक एक बड़ी ज़िम्मेदारी से गुज़र रहा है। आदिकाल से कही और सुनी जाने वाली कहानियों ने इक्कीसवीं सदी में प्रवेश किया है। आज की कहानी में विविधता तो है लेकिन यथार्थ की कमी है। आज ज़िन्दगी के यथार्थ को नए ढंग से रचा जा रहा है। आपने कहानीकारों को सलाह देते हुए कहा कि -
“लेखन का एक विशेष उद्देश्य पाठक और लेखक के बीच एक सेतु का निर्माण करना है ताकि कहानी को स्थायित्व मिल सके और यह तभी संभव है जब खुद को पिघला कर कहानी के किरदारों से रिश्ता जोड़ा जाय।”
मुख्य अतिथि विवेक रंजन श्रीवास्तव ने डॉ ज्योति गजभिये की कहानी “मिटटी की खुशबू”, की सारगर्भित समीक्षा करते हुए कहा कि -
“आज गाँवों से शहरों की ओर पलायन एक विकराल समस्या बन गई है। “मिट्टी की खुश्बू” एक संवेदनशील, प्रेरणात्मक कहानी है। नारी चेतना, ग्रामीण जीवन, कृषि संस्कृति और सामाजिक जिम्मेदारी जैसे विषयों पर रची गई है।
यह कहानी केवल एक युवती ललिता की जीवन यात्रा नहीं है, बल्कि यह उस मिट्टी की खुशबू का प्रतीक है, जो ग्रामीण भारतीय के जीवन में रची-बसी होती है। यह कहानी आधुनिकता और परंपरा के बीच एक आदर्श संतुलन, भावनाओं और कर्तव्यों के संघर्ष, तथा आत्मबल और सामाजिक चेतना का उदाहरण प्रस्तुत करती है। इस कहानी का भाव पक्ष बहुत गहरा है।”
विशिष्ट अतिथि, मधु सक्सेना ने अदिति सिंह द्वारा पढ़ी गई कहानी, ‘नए कदम’ की विस्तार से समीक्षा की और उसके अनकहे पहलुओं पर बात करते हुए कहा कि -
“कहानियों की अपनी एक अलग ही दुनिया होती है जिसमे पाठक डूब जाता है। मन के भावों संग जुड़ जाता है। कथानक के साथ चल देता है। सामाजिक, आर्थिक और वैज्ञानिक परिवर्तन को कहानी ही सबसे पहले स्वीकार करती है फिर धीरे-धीरे पाठक को सहमत कराती है फिर समाज को।
दरअसल सामाजिक दूरियों को पाटने की कोशिश है अदिति सिंह की कहानी नए कदम। इसके सूत्र वाक्य काम के हैं। इनमें सावधानी और चेतावनी दोनों का समावेश है।”
कहानी संवाद का सञ्चालन करते हुए मुज़फ़्फ़र सिद्दीकी ने भूमिका बांधते हुए कहा कि -
“दुनिया बदल रही है और इस बदलती दुनिया का का असर कहानी के किरदारों पर भी पड़ रहा है।”
अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच की मध्यप्रदेश इकाई की अध्यक्ष शेफालिका श्रीवास्तव ने सभी साहित्य सुधिजन और श्रोताओं का आत्मीय स्वागत किया।
जया केतकी शर्मा, मंत्री, अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि -
“एसा नहीं है कि यदि कहानी हिंदी में लिखी गई है तो पढ़ी नहीं जाएगी।”
धन्यवाद।
- मुज़फ्फर सिद्दीकी
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साहित्यिक समाचार
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