“अहं ब्रह्मास्मि” कहानी पाठ और चर्चा हुई
भोपाल। दुष्यंत संग्रहालय में कथाकार और रामायण केंद्र के अध्यक्ष डॉक्टर राजेश श्रीवास्तव के प्रसिद्ध कहानी संग्रह “अहं ब्रह्मास्मि”में संकलित चौदह कहानियों का पाठ और उन पर विशद चर्चा वरिष्ठ कवि लेखक श्री संतोष चौबे की अध्यक्षता और कथाकार श्री मुकेश वर्मा के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुई।
कहानीकार डॉक्टर राजेश श्रीवास्तव ने लेखकीय वक्तव्य में बताया कि उन्होंने नौ वर्ष की उम्र से कहानी लिखना आरम्भ किया था। तब उनकी कहानियाँ सारिका जैसी प्रमुख पत्रिकाओं में छपती थीं। इस संग्रह में शामिल कहानियाँ युवामन की अभिव्यक्तियाँ हैं।
श्री संतोष चौबे ने कथारस के अवयवों की चर्चा करते हुए राजेश श्रीवास्तव की कहानियों को एक उन्नीस साल के युवक के परिपक्व मन से निकली रचनाएं बताया।
श्री मुकेश वर्मा ने कहा कि इस संग्रह की कहानियों को 1980-90 के दशक के समय में देखा जाना चाहिए। इनकी “चित्रा” कहानी एक मनोवैज्ञानिक कहानी है, इसे विवाहेतर संबंधी कथानक से अलहदा ऊहापोह में फँसे एक पुरुष की कहानी है। जो बीबी से अलग रखी प्रेमिका को नहीं छोड़ना चाहता है।
सारस्वत अतिथि श्री रामराव वामनकर ने कहा कि कहानी की सीमा को लांघती अहं ब्रह्मास्मि इस संग्रह की प्रतिनिधि कहानी है। उन्होंने इसे वेदांत के अद्वैत दर्शन से प्रभावित बताया।
विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार सुरेश पटवा ने संग्रह में शामिल कहानियों को साठोत्तर युग की प्रतिनिधि कहानियाँ बताते हुए “अहं ब्रह्मास्मि” की विस्तृत विवेचना प्रस्तुत करते हुए उन्होंने राजेश श्रीवास्तव की कुछ कहानियों को अपने समय की श्रेष्ठ कहानियाँ माना।
गोकुल सोनी ने “मज़दूर का दर्शन” कहानी का पाठ कर संग्रह की विवेचना प्रस्तुत की। चन्द्रभान राही ने “ताजमहल”, “भिखारी” और “शोभा” कहानियों, डॉ. अनिता सिंह चौहान ने “मेला”, “नौकरी” और “सुनीता” कहानियों, विवेक रंजन श्रीवास्तव ने “लहरों का द्वंद”, “चित्रा” और “पल्टूराम” कहानियों और वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने “फैसले”, “नास्तिक-नास्तिक” और “एक शाम” की विवेचना करते हुए एक-एक कहानी का पाठ किया और अन्य दो कहानियों का सारांश प्रस्तुत किया।
यह कार्यक्रम दुष्यंत संग्रहालय में न्यू भूमिका साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था के तथावधान में संपन्न हुआ। सरस्वती वंदना रूपाली सक्सेना ने प्रस्तुत की जबकि सुरेश पटवा ने उपस्थित अतिथियों और साहित्य प्रेमियों का स्वागत विषय प्रवेश कराते हुए किया। आभार प्रदर्शन संस्था के सचिव चंद्रभान राही ने किया। प्रभावी संचालन रामायण केंद्र की सचिव डॉक्टर अनुभूति शर्मा ने किया।
चंद्र भान राही
अध्यक्ष
न्यू भूमिका साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था
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