फुरसत मे संस्था ने पत्रकारिता दिवस मनाया
जमशेदपुर । वरिष्ठ महिला साहित्यकारो की संस्था फुरसत में आनलाइन पत्रकारिता दिवस पर परिचर्चा व काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। यह एक प्रतियोगिता थी जिसमें सभी सदस्यों ने भाग लिया।अध्यक्षता पद्मा मिश्र तथा धन्यवाद ज्ञापन सरित किशोरी श्रीवास्तव ने किया।संरक्षक आनंद बाला शर्मा ने सभी सदस्यों को संबोधित करते हुए समाज के.सामयिक संदर्भों में सच्ची पत्रकारिता को आवश्यक बपाया।प्रथम प्रविष्टि के रुप में वर्तमान अध्यक्ष पद्मा मिश्र ने पत्रकारिता को सामाजिक सरोकारों से जुडा एक अनिवार्य दायित्व बताते हुए अपनी रचना प्रस्तुत कीमतों एक आवाज हूं,आने वाले कल की,समय के पृष्ठ पर पढा मेरी कहानी,सुनाकर सभी की प्रशंसा प्राप्त की।रेणुबाला मिश्रा ने जवाब प्रश्न उठाते हुए पतरकारिता की ईमानदार कोटशिश की चर्चा की -यह मजाल! सिंहासन से टक्कर
यह कलम लेगी? रुको!रोको!न सुने तो हाथ मरोड़ो!
विषाक्त हो गए रिश्ते!सच उगलनेवाली कलम छिन गई!
इमारत के ऊपरी तल्ले जिनईटों से बनने लगे उनमें
मिट्टी की सोंधी खुश्बू न रहीमिलावट की बू आने लगी।
पटना से इंदिरा पाण्डेय की सशक्त प्रस्तुतिरही,पत्रकारिता
प्रजातंत्र की नीँव रहे अडिग ।
अगली प्रस्तुति के रूप में छाया प्रसाद जी की रचना ने महिला पत्रकारिता को.स्वर दिया ,हम धूरि है धरा क,हम से है सृष्टि,संसार हम जन्मदात्री ,हम निर्माता।
ना सोचा ना समझा ?ना मान दिया,।अहमदाबाद से उमा सिंह ने अपनी कविता के माध्यम से बताया कि सच्ची पत्रकारिता है,समाज की तरक्की,,देश के वर्तमान को उन्नत करने की सीढ़ी पत्रकारिता के आईने, बताते है सच के मायने,।सचिव मनीला कुमारी की रचना एक ईमानदार शिक्षक के संघर्ष पर सृजित थी-हां,मैं अच्छा शिक्षक नहीं हूं,काम करता हूं ,दिखावा नहीं।
अंत में धन्यवाद ज्ञापन के पश्चात कार्यक्रम की सुखद समाप्ति हुई। प्रतिभागी सदस्यों को परतिभागिता सह सम्मान पत्र दिया जायेगा।